आजकल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक नया ट्रेंड तेजी से सामने आ रहा है। हाल ही में यह ट्रेड युवा पीढ़ी के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। ये तस्वीरें नब्बे के दशक की हीरोइनों जैसी हैं। यंगस्टर्स अपनी तस्वीरों को सोशल प्लेटफॉर्म पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई की मदद से एडिट करवाकर शेयर कर रहे हैं। कभी फिल्मी पोस्टर जैसी, कभी किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म , नया ट्रेंड , युवा पीढ़ी , आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस , फैंटेसी वर्ल्ड झलक , कैंपस जैसी तो कभी बेहद आकर्षक अंदाज में दिखाई देती है। इस ट्रेंड ने यूजर्स में नई ऊर्जा भर दी है और हर दूसरा व्यक्ति अपनी एडिटेड फोटो फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप पर साझा करता दिखाई दे रहा है।
कुछ माह पहले भी हमें ऐसा ही एक ट्रेंड देखने को मिला था-गिबली आर्ट का, जिसमें लोग अपनी तस्वीरों को कार्टून में बदल रहे थे। तकनीक अब केवल सुविधाओं तक सीमित नहीं रही, अब यह भावनाओं को भी छू रही है। एआई एडिटिंग का जादू ऐसा है कि लोग अपनी तस्वीरों को कुछ पल के लिए नए और मनचाहे रूप में देखकर खुश हो रहे हैं। जिन लोगों ने हमेशा खुद को किसी खास अंदाज में देखने की कल्पना की थी, एआई ने उन्हें वह अनुभव दे दिया है। इससे न केवल खुशी और उत्साह बढ़ रहा है, बल्कि क्रिएटिविटी और मनोरंजन का भी एक नया माध्यम मिला है।
तकनीक के इस प्रयोग ने आम लोगों को भी आधुनिकता का अनुभव कराया है, लेकिन इसके साथ ही कुछ नकारात्मक पक्ष भी उभर कर सामने आ रहे हैं। एआई से बनी तस्वीरें असली नहीं लगतीं, क्योंकि इनका आकर्षण अक्सर बनावटी दिखाई देता है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि इनमें एकरूपता बढ़ रही है। लगभग हर किसी की फोटो एक जैसी, खूबसूरत और परफेक्ट बनकर सामने आती है। इस वजह से लोग जल्दी ऊब भी जाते हैं, इसलिए यह ट्रेंड ज्यादा लंबे समय तक नहीं चलता।
इसके अलावा वास्तविक और एडिटेड चेहरे के बीच अंतर देखने पर लोग अपने असली रूप से असंतुष्ट महसूस कर सकते हैं। डेटा प्राइवेसी का खतरा भी एक अलग चिंता का विषय बना हुआ है। कुल मिलाकर, एआई एडिटेड फोटो का यह ट्रेंड मनोरंजन और तकनीकी अनुभव का एक नया जरिया है। यह लोगों को थोड़े समय के लिए उत्साह और खुशी देता है, लेकिन लंबे समय में इसका आकर्षण फीका पड़ सकता है इसलिए इसे केवल प्रयोग और मनोरंजन की दृष्टि से देखना ही बेहतर है। वैसे भी असली सुंदरता हमेशा हमारी वास्तविकता, आत्मविश्वास और स्वभाव में ही छिपी रहती है।