(www.arya-tv.com)4 जनवरी को एपल दुनिया की पहली कंपनी बन गई, जिसने 3 ट्रिलियन डॉलर यानी करीब 224 लाख करोड़ रुपए के मार्केट कैप को पार किया है। एपल की वैल्यू भारत समेत 198 देशों की GDP से भी ज्यादा हो गई है।
1976 में शुरू हुई एपल ने अगस्त 2018 में 1 ट्रिलियन डॉलर का मुकाम पाया था। 2 साल बाद, यानी अगस्त 2020 में कंपनी ने 2 ट्रिलियन डॉलर मार्केट कैप को पार किया और महज 16 महीने में इसने 3 ट्रिलियन डॉलर को छुआ है।
एपल के पहले कंप्यूटर में स्क्रीन नहीं थी
ये उस दौर की बात है जब 6 रेफ्रिजरेटर के बराबर एक कंप्यूटर हुआ करता था। स्टीव जॉब्स और स्टीव वोजनियाक नाम के दो दोस्तों को ये बात अखरती थी। वो ऐसा कंप्यूटर बनाना चाहते थे, जिसे लोग अपने घर या ऑफिस में आसानी से रख सकें।
स्टीव जॉब्स के गैराज में दोनों ने ऐसा कंप्यूटर बनाने का काम शुरू किया। 1976 में उनकी मेहनत रंग लाई और एपल-1 बनकर तैयार हुआ। 1 अप्रैल 1976 को जब इसे लॉन्च किया गया तो न इसमें मॉनिटर था, न कीबोर्ड और न ही डब्बा। 1978 में एपल-2 लॉन्चिंग ने तो कंप्यूटर इंडस्ट्री में क्रांति ला दी। कंपनी की सेल 2 साल में 7 मिलियन डॉलर से बढ़कर 117 मिलियन डॉलर हो गई।
दोनों फाउंडर बाहर हो गए
1983 में स्टीव वोजनियाक का इंट्रेस्ट कम होने लगा और उन्होंने कंपनी छोड़ दी। इसके बाद स्टीव जॉब्स ने पेप्सिको को जॉन स्कली को हायर कर लिया। हालांकि, ये कदम उलटा साबित हुआ और 1985 में स्टीव जॉब्स को एपल से बाहर जाना पड़ा। कंपनी की कमान पूरी तरह जॉन स्कली के हाथों में आ गई।
1990 तक एपल कंप्यूटर्स ने खूब मुनाफा कमाया। इसके बाद मार्केट शेयर घटने लगा और कंपनी डूबने लगी। 1997 में बोर्ड मेंबर्स ने स्टीव जॉब्स को कंपनी में वापस लाने का फैसला किया। ये एक टर्निंग पॉइंट था और इसके बाद एपल ने कभी मुड़कर नहीं देखा। स्टीव जॉब्स ने कंप्यूटर्स की बिक्री बढ़ाई और आईबुक, आईपॉड, एमपी3 प्लेयर और आईफोन जैसे प्रोडक्ट लॉन्च किए और मार्केट लीडर बन गए।