इस योगासन से पीरियड्स के दर्द से हमेशा के लिए मिल जाएगी मुक्ति

इस योगासन से पीरियड्स के दर्द से हमेशा के लिए मिल जाएगी मुक्ति

Health /Sanitation

पीरियड्स के समय होने वाली समस्याओं जैसे कमर में दर्द, पैरो में दर्द, पेट फूलना, चिड़चिड़ापन से तो हर महिला को गुजरना पड़ता है। आज हम आपको इन दिनों में अभ्यास करने वाले योगासनों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका रोजाना अभ्यास करने से इस तकलीफ से जरूर आराम मिलेगा।

बालासन
बालासन में हम एक शिशु की तरह वज्र आसन लेकर हाथों और शरीर को आगे की ओर झुकाते है। यह आसन बेहद आसान ज़रूर है मगर काफी लाभदायक भी है। कमर की मांसपेशियों को आराम देता है और ये आसन कब्ज को भी दूर करता है। मन को शांत करने वाला ये आसन तंत्रिका तंत्र को शांत करता है।

अभ्यास का तरीका
अपनी एड़ियों पर बैठ जाएं, कूल्हों पर एड़ी को रखें, आगे की ओर झुके और माथे को जमीन पर लगाएं।
हाथों को शरीर के दोनों ओर से आगे की ओर बढ़ाते हुए जमीन पर रखें, हथेली आकाश की ओर रखें। धीरे से उठकर एड़ी पर बैठ जाएं और रीढ़ की हड्डी को धीरे-धीरे सीधा करें।

सावधानी
पीठ में दर्द हो या घुटने का ऑपरेशन हुआ हो तो अभ्यास न करें।
गर्भवती महिलाएं इस आसन का अभ्यास ना करें।
अगर आप दस्त से परेशान हों या हाल ही में ठीक हुए हों तो ये आसन न करें।

दंडासन
दंडासन, योग मुद्रा का एक सरल आसन है। दंडासन एक ऐसा अभ्यास है जो आपके शरीर को उन्नत आसन करने के लिए तैयार करता है। यह आपके शरीर की क्षमता को भी बढ़ाता है।

अभ्यास का तरीका
जमीन पर पैर सामने की ओर फैला कर बैठ जाएं। दोनों पैरों की उंगलिया आपकी ओर झुकी और खिची रहें। दोनों हाथों को सीधे और हथेलियों को जमीन पर रखें। हाथ दोनों कूल्हों के पास में रहने चाहिए। अपनी रीढ़ की हड्डी और गर्दन को सीधा रखें। अपनी छाती को ऊपर उठाएं और अपने कॉलरबोन को फैलाने के लिए अपने कंधों को थोड़ा सा खींचें। सामने देखते हुए सांस सामान्य रखें। दंडासन को 20 सेकंड से एक मिनिट तक करें।

फायदे
रीड की हड्डी लचीला और मजबूत बनाए, मांसपेशियों को मजबूत करने में मददगार, मस्तिष्क को शांत करता है और पाचन शक्ति को बढ़ाता है।

पश्चिमोत्तनासन
इस आसन को पीठ के बल किया जाता है। इससे पीठ में खिंचाव होता है, इसीलिए इसे पश्चिमोत्तनासन कहते हैं। इस आसन से शरीर की सभी मांसपेशियों पर खिंचाव पड़ता है। जिससे पेट, छाती और मेरुदंड की कसरत होती है।

अभ्यास का तरीका
-जमीन पर बैठ जाएं और दोनों पैरों को सामने फैलाएं। पीठ की पेशियों को ढीला छोड़ दें।
-सांस लेते हुए अपने हाथों को ऊपर लेकर जाएं।
-फिर सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें।
-अपने हाथ से पैरों की उंगलियों को पकड़ने की कोशिश करें। साथ ही नाक को घुटने से छूने का प्रयास करें।
-धीरे-धीरे सांस लें, फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ें। इस तरह से आप 3 से 5 चक्र करें।

फायदे
रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है, पेट की चर्बी कम करे, पेट की मांसपेशियां मजबूत करे, कब्ज, अपच को दूर करने में सहायक और महिलाओं के मासिक धर्म से के सभी विकार का हल निकालने में कारगर।

सावधानी
-अगर आपके आंत में सूजन हो तो इसका अभ्यास बिल्कुल न करें।
-कमर में तकलीफ हो तो इस योग का अभ्यास नहीं करना चाहिए।