पाकिस्तान की सियासत में तैयार हो चुकी है एक बार फिर बड़े बदलाव की स्क्रिप्ट

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(www.arya-tv.com) पाकिस्तान की सियासत में एक बार फिर बड़े बदलाव की स्क्रिप्ट तैयार हो चुकी है। खबरों के मुताबिक, नवंबर 2019 से लंदन में रह रहे पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ नए साल 2022 के पहले महीने में मुल्क लौट रहे हैं। पाकिस्तान में फौज के समर्थन के बिना किसी सरकार का सत्ता में रहना नामुमकिन है।

पूरी तरह नाकाम रहे इमरान

फौज ही तब्दीली के नाम पर इमरान को सत्ता में लाई, लेकिन वो पूरी तरह नाकाम रहे। मुल्क में उनके खिलाफ नफरत पैदा हो चुकी है। इमरान की कारगुजारियों की वजह से फौज की भी फजीहत हो रही थी। लिहाजा, बीच का रास्ता खोजा गया है। तीन साल से चुप पाकिस्तान का मेन मीडिया भी अब खुलकर नवाज की वापसी और इमरान के दिन लदने की खबरें देने लगा है। आइए इस पूरे मामले की तह तक चलते हैं।

नवाज का जिक्र अचानक क्यों
सबसे पहले ये जान लेते हैं कि नवाज का जिक्र अचानक क्यों होने लगा? 3 दिन पहले पाकिस्तान के बड़े और गंभीर पत्रकार सलीम साफी ने एक ट्वीट किया। कहा- नवाज जनवरी 2022 में पाकिस्तान लौट रहे हैं। मुल्क की सियासत में बदलाव का वक्त है। इस ट्वीट को हर किसी ने गंभीरता से लिया, क्योंकि हालात भी कुछ इसी तरफ इशारा कर रहे थे। बाद में एक और सीनियर जर्नलिस्ट नजम सेठी ने कहा- सलीम साफी बिल्कुल सही कह रहे हैं। नवाज के मुल्क लौटने की स्क्रिप्ट पर काम 3 महीने से चल रहा हैं।

 पाकिस्तान में बिल्कुल उल्टी गंगा बहती है
दुनिया के ज्यादातर मुल्कों में फौज चुनी हुई सरकार के मातहत काम करती है। पाकिस्तान में बिल्कुल उल्टी गंगा बहती है। यहां फौज और ISI सरकार बनाने और गिराने में सबसे अहम रोल प्ले करते हैं। नवाज को फौज के विरोध की वजह से कुर्सी गंवानी पड़ी थी। बदलाव के तौर पर इमरान को लाया गया। उन्हें U टर्न और सिलेक्टेड प्राइम मिनिस्टर कहा जाता है। थक-हारकर फौज को फिर नवाज की तरफ ही देखना पड़ा।

आर्मी और ISI विलेन

अब इशारे समझें। सिर्फ तीन महीने पहले तक नवाज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अवाम से बात करते थे। इस दौरान फौज-ISI के अफसरों का नाम लेकर उनकी कारगुजारियां उजागर करते थे। फौज के सामने दोहरी मुसीबत आ गई। पहली- इमरान हर मोर्चे पर नाकाम हो गए। दूसरा- नवाज सीधा नाम ले-लेकर फौज पर हमले कर रहे थे। मुल्क में आर्मी और ISI विलेन के तौर पर देखे जाने लगे।

PPP को सिर्फ सिंध प्रांत की पार्टी माना जाता है
पाकिस्तान में दो ही बड़ी सियासी पार्टियां हैं। पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज (PML-N) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP)। अब इस फेहरिस्त में आप इमरान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) को भी गिन सकते हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि इमरान की पार्टी में 80% नेता वही हैं, जो पहले PPP या PML-N में रह चुके हैं।

  • PPP को सिर्फ सिंध प्रांत की पार्टी माना जाता है। बाकी सूबों में उसका असर-ओ-रसूख या फिर कहें जनाधार बेहद कम है। बेनजीर भुट्टो जैसा करिश्मा न तो आसिफ अली जरदारी में है और न उनके बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी में। आसिफ अली जरदारी 66 साल के हैं, लेकिन काफी बीमार रहते हैं। बिलावल को मुल्क की सियासत में नौसिखिया समझा जाता है। लिहाजा, मुल्क हैंडल करने के लिहाज से वो मिसफिट माने जाते हैं।
  • PML-N के मुखिया नवाज हैं। भाई शहबाज शरीफ और बेटी मरियम नवाज दोनों पॉलिटिकली मैच्योर और एक्टिव हैं। इमरान और फौज के सामने उन्होंने घुटने नहीं टेके। दोनों को कई केसों में फंसाया भी गया। पाकिस्तान की फौज हो या सियासत, दोनों के बारे में एक बात मशहूर है कि इनमें 80 से 90% लोग पंजाब प्रांत के होते हैं। PML-N सिर्फ पंजाब ही नहीं, मुल्क के दूसरे हिस्सों में ताकतवर है। नवाज तो आज भी पाकिस्तान के सबसे मशहूर नेता हैं।