(www.arya-tv.com) सिर पर हाथ चाहिए आशीर्वाद के लिए, थामने को नहीं। नजर उतारने के लिए हम चाहिए, लेकिन हमें नजर भरकर भी नहीं देखते। राहू-केतु की चाल बदलने को हम चाहिए, लेकिन हमें देखते ही रास्ता भी बदल देते हैं। यह व्यथा उनकी है, जो जन्म तो आम बच्चों की तरह ही लेते हैं, लेकिन मतदाता के रूप में मिले अन्य दर्जे की तरह अन्य ही बन कर रह जाते हैं। एक संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने आगरा आए किन्नरों ने साझा किया अपना दर्द और अपना संघर्ष।
कानपुर में पैदा हुई एमी चौहान दिव्यांग भी हैं। बचपन में हुए एक हादसे में उनके दोनों पैर कट गए थे। पिता का साया बचपन में ही उठ गया था। मां ने भी साथ नहीं दिया, लेकिन हार नहीं मानी। एमए साइक्लोजी करने के बाद एमी बंगलुरू में आइटी सेक्टर में बिजनेस एनालिस्ट हैं। एमी बताती हैं कि यह सफर इतना आसान नहीं रहा। घर से सहयोग नहीं मिला इसलिए भीख तक मांगी।
अपनी पढ़ाई पूरी की। पहली नौकरी दिल्ली में एक काल सेंटर में 3500 रुपये में की। कुछ समय पहले सर्जरी करा ल़ड़की बन गई हैं। एमी को नृत्य का शौक है। बूगी-वुगी और डांस इंडिया डांस जैसे रिएलिटी शोज में भी भाग ले चुकी हैं। एमी कहती हैं कि भारत में जितना विकास हो रहा है, उतना विकास समाज की सोच में नहीं हो रहा है। आज भी हम किन्नरों को हेय दृष्टि से देखा जाता है। एमी अब ऐसा जीवन साथी ढूंढ रही हैं, जो उन्हें लड़की समझे किन्नर नहीं।
बिहार की संजना का संघर्ष भी कम नहीं है। संजना स्नातक कर रही हैं। घरवालों ने पहले घर से निकाल दिया। सालों दिल्ली में अकेली रहीं। सांसें लेने के लिए हर वो काम किया, जिसे सभ्यता के दायरे में नहीं रखा जाता। अब घरवालों से बातचीत शुरू हुई है। स्नातक के बाद किसी कंपनी में नौकरी करना चाहती हैं।
बोदला की जान्हवी, देवी जागरण आदि में अलग-अलग रूपों में नृत्य करती है। घरवालों ने कभी अपनाया नहीं, इसलिए अकेली रहती हैं और काम करती हैं। दसवीं तक पढ़ाई भी की है, पर समाज की सोच ने पैरों में ऐसी बेड़ियां डाली कि अब घुंघरू बांधने पड़े हैं।
क्या कहते हैं आंकड़े
प्रदेश में हर साल लगभग तीन हजार किन्नरों की संख्या बढ़ रही है। यानी 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में किन्नरों की संख्या 137465 थी, जो प्राप्त सर्वेक्षण में इनकी संख्या लगभग 164615 हो गई है। यानी 10 वर्षों में 27150 की वृद्धि हुई है।
हम किन्नर हैं तो कोई कुछ भी बोल जाएगा क्या…अतिथि की तरह बुलाया है तो सम्मान क्यों नहीं दे रहे..हमारे लिए कार्यक्रम है और हमारे लिए ही व्यवस्थाएं नहीं हैं। किन्नरों का यह गुस्सा, उस दौरान नजर आया, जब वे आगरा के आरबीएस आडीटोरियम में रिवाज संस्था द्वारा आयोजित हौंसला फैशन शो में भाग लेने आए थे।
दूसरे शहरों से आए यहां कार्यक्रम के दौरान अव्यवस्थाओं से खासे नाराज नजर आए। संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में किन्नरों और दिव्यांगों के लिए फैशन शो था। इसके लिए आडीटोरियम में बने कमरों में किन्नर और दिव्यांग तैयार हो रहे थे।
इसी दौरान अव्यवस्थाओं से किन्नर नाराज हो गए। संस्था के पदाधिकारियों को नाराजगी जाहिर की। खाने से लेकर मेकअप तक की व्यवस्थाएं सही नहीं होने का आरोप लगाया। कुछ किन्नरों ने तो मंच पर जाने से भी इंकार कर दिया। संस्था के पदाधिकारियों ने काफी मुश्किल से स्थिति को संभाला। उसके बाद कार्यक्रम शुरू हुआ।