मंगलवार को अपने गढ़ मैनपुरी में अखिलेश यादव अकेले ही दिखे ;चाचा शिवपाल नदारद

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(www.arya-tv.com)समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव के बीच गठबंधन तय हो चुका है। इसके बाद कहा जा रहा था कि यादव लैंड में चाचा-भतीजा एक रथ पर सवार होकर एकता का संदेश देंगे। मगर, मंगलवार को अपने गढ़ मैनपुरी में अखिलेश यादव अकेले दिखाई दिए। हालांकि, उनकी विजय रथ यात्रा को लेकर जो भी होर्डिंग शहर में लगाए गए हैं, उसमें भी अखिलेश और शिवपाल को साथ दिखाया गया है। तो फिर अखिलेश के रथ पर शिवपाल क्यों नहीं आए?

पीछे की वजह क्या है?

यह सवाल इसलिए भी है, क्योंकि कुछ दिन पहले ही शिवपाल ने इटावा में कहा था कि वे जल्द ही अखिलेश के साथ नजर आएंगे। साथ ही पूरे यूपी में सरकार बनाने के लिए प्रचार करेंगे। तो फिर यादव लैंड में चल रही विजय रथ यात्रा में शामिल नहीं होने के पीछे की वजह क्या है?

गठबंधन को लेकर नहीं हुआ ह फैसला

शिवपाल और अखिलेश के बीच गठबंधन को लेकर तो बातचीत हुई, लेकिन सीटों के बंटवारे पर पेंच फंसा हुआ है। कहा जा रहा है कि टिकट बंटवारे के फाॅर्मूले में अभी पेंच होने के चलते दोनों ही नेता दूरी बनाए हैं। हालांकि मैनपुरी में शिवपाल के साथ आने की उम्मीद सपा खेमे में थी। शिवपाल के न आने से कार्यकर्ताओं में भी थोड़ी निराशा भी हुई।

जल्द ही एक मंच पर दिखाई देंगे दोनों नेता

प्रसपा के एक सीनियर लीडर ने बताया कि अब कोई मसला नहीं है। मैनपुरी वाली विजय रथ यात्रा में शामिल होने का कोई कार्यक्रम पहले से भी तय नहीं था। जल्द ही एक तारीख की घोषणा होगी और दोनों नेता एक मंच पर दिखाई देंगे। अब दोनों का मकसद भाजपा को हराना है। लिहाजा सीट शेयरिंग को लेकर कोई पेंच नहीं है।

शिवपाल यादव अपनी पार्टी का विलय सपा में करेंगे?

शिवपाल यादव सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे या प्रसपा के सिंबल पर। इसकी रणनीति तैयार की जा रही है। बहुत जल्द इसकी घोषणा हो जाएगी। खबर है कि शिवपाल यादव अपनी पार्टी का विलय सपा में करेंगे। इसके पीछे एक वजह यह भी है कि शिवपाल की पार्टी का सिंबल चाबी अब फ्री सिबंल नहीं है। वह हरियाणा के किसी राजनीतिक दल को मिल गया है। लिहाजा, शिवपाल का सपा के चुनाव निशान साइकिल पर लड़ना तय है। इतना ही नहीं, खबर यह भी कि शिवपाल यूपी के 75 जिलों की सभी 403 विधानसभा सीटों पर सपा के लिए प्रचार भी करेंगे।

शिवपाल के साथ आने वाले नेताओं की परेशानी बढ़ी 
अब जबकि दोनों दलों का समझौता हो गया है। सब कुछ ठीक रहा, तो जल्द ही विलय भी हो जाएगा। इस बीच समाजवादी पार्टी को छोड़ कर शिवपाल के साथ आने वाले नेताओं की परेशानी थोड़ी बढ़ गई है। ।

नेता कहते हैं कि विलय तो ठीक है, लेकिन हमारा क्या होगा? क्या चाचा हमें टिकट दिलवा पाएंगे। माना जा रहा है कि शिवपाल के साथ कुछ ऐसे नेता भी हैं, जिन्हें टिकट मिलता है तो उनकी जीत हो सकती है। हालांकि, शिवपाल का खेमा दावा कर रहा है कि जो भी लड़ने और जीतने वाले नेता होंगे, उन्हें टिकट मिल सकता है।