(www.arya-tv.com)दिल्ली सोमवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात की गवाह बनी। रूस के साथ हमारी दोस्ती पुरानी है, लेकिन इन दोनों दबंग नेताओं की मुलाकात न सिर्फ इस रिश्ते को ज्यादा मजबूत करेगी, बल्कि दोनों देशों की इकोनॉमी को भी 6 लाख करोड़ रुपए (80 अरब डॉलर) का बूस्टर डोज देगी।
ये देश 2025 तक दो-तरफा निवेश को 50 अरब डॉलर और ट्रेड को 30 अरब डॉलर के पार ले जाना चाहते हैं। पुतिन की इस यात्रा में 28 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं।
भारत के रूस के साथ मजबूत संबंध
आजादी के बाद से ही भारत के रूस के साथ मजबूत संबंध रहे हैं। रक्षा, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी और कई अन्य क्षेत्रों के डेवलपमेंट में रूस का अहम रोल रहा है। 1990 में जब सोवियत संघ टूट रहा था उस दौर में भारत, रूस की नजदीकी और ज्यादा बढ़ी। सियासत हो या अर्थव्यवस्था, दोनों क्षेत्रों में नजदीकियां बढ़ीं। एक-दूसरे का सपोर्ट करने के समझौते भी हुए।
दोनों देशों के बीच ट्रेड में तेजी
इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच ट्रेड में तेजी आई। रूस लंबे समय से भारत की रक्षा जरूरत को पूरा करने वाला सबसे बड़ा सहयोगी रहा है। डिफेंस के अलावा पेट्रोलियम, फार्मा और न्यूक्लियर एनर्जी जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच व्यापार होता है।
भारत-रूस की दोस्ती मजबूत हुई
मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनकी पुतिन से कई मुलाकातें हुईं। हर बार कुछ समझौते हुए और सहयोग पर सहमति बनी। इस दौर में भारत-रूस की दोस्ती मजबूत ही हुई है। अगर बात करें 2020-21 की तो दोनों देशों का बाइलेट्रल ट्रेड 8.1 अरब डॉलर रहा था। इस दौरान इंडियन एक्सपोर्ट 2.6 अरब डॉलर का रहा, जबकि रूस से इंपोर्ट 5.48 अरब डॉलर था। ये आंकड़े रूस स्थित भारतीय एंबेसी ने दिए हैं।
अब रूसी सरकार के आंकड़ों की बात करें तो उनका भारत के साथ बाइलेट्रल ट्रेड 9.31 अरब डॉलर था, जिसमें इंडियन एक्सपोर्ट 3.48 अरब डॉलर और इंपोर्ट 5.83 अरब डॉलर था।