(www.arya-tv.com)व्यावसायिक दुकानों पर आए दिन होने वाली मारपीट, तोड़फोड़ की घटनाओं को रोकने लिए पुलिस ने पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की है। इसके तहत प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियों को यूपी-112 के साथ संबद्ध किया गया है। इन एजेंसियों के गार्ड घटना की सूचना पर पुलिस की तरह ही मौके पर पहुंचकर कानून व्यवस्था संभालेंगे।
लिंक प्रोजेक्ट की शुरुआत
अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने बताया कि यूपी-112 में लिंक प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई है। इससे प्रदेश के व्यावसायिक दुकानों को आपातकालीन परिस्थितियों में कम समय के भीतर पुलिस, चिकित्सा, फायर सर्विस आदि की सहायता उपलब्ध हो सकेगी। उन्होंने बताया है कि इसकी शुरुआत यूपी-112 द्वारा पांच एजेंसियों के साथ पाइलट प्रोजेक्ट के रूप में जुलाई 2020 में की गई थी। अब शासन की ओर से इस योजना को पूर्ण रूप से शुरू किए जाने के निर्देश दिए गए। इसके तहत अब तक एजेंसियों की 9636 साइट्स की लोकेशन को यूपी-112 के साथ इन्टीग्रेट किया जा चुका है। इनमें से 4428 साइट्स पर यूपी-112 की पुलिस रिस्पॉन्स व्हीकिल (PRV) मौके पर जाकर ट्रायल कर चुकी है।
सेंट्रलाइज्ड एलार्म रिसेप्शन सेंटर की व्यवस्था
यूपी-112 द्वारा वेब पेज के मुख्य पृष्ठ पर उपलब्ध कराए गए ‘‘लिंक 112 पंजीकरण’’ ऑप्शन से इस योजना में अब तक कुल 684 रिजस्ट्रेशन हुए हैं। जिनमें से 17 रजिस्ट्रेशन प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी ने किए हैं। बाकी रजिस्ट्रेशन जनसामान्य द्वारा योजना की जानकारी के आशय से किए गए हैं। पंजीकृत प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसियों के साथ यूपी-112 के एकीकरण की प्रक्रिया एजेंसी वार अलग-अलग चरण में जारी है। प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसियों द्वारा अपने स्तर पर सेंट्रलाइज्ड एलार्म रिसेप्शन सेंटर की व्यवस्था किए जाने तक उन्हें 112 इंडिया एप और यूपी-112 सिटीजन एप से पुलिस सहायता मिल सकेगी।
व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को सहायता कम समय में
इस योजना में व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर उपद्रव, गाली-गलौच, मारपीट, विवाद आदि की सूचना पर PRV कम से कम समय में मौके पर पहुंच कर संबंधित को सहायता देगी। पूर्व में इमरजेंसी हेल्प के लिए फोन करके 112 से पुलिस सहायता के लिए कॉल में 4-5 मिनट का अतिरिक्त समय लग जाता था, इस व्यवस्था से व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को पुलिस, चिकित्सा, फायर सर्विस की सहायता कम समय में मिलेगी।