(www.arya-tv.com)‘पटाखा’ और ‘अंग्रेजी मीडियम’ फेम राधिका मदान की ‘शिद्दत’ आज ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज हो रही है। यह मौजूदा पीढ़ी से ताल्लुक रखने वाली कार्तिका और जग्गी की लव स्टोरी है। राधिका फिल्म की शुरूआत में कार्तिका से कनेक्ट नहीं कर पा रही थी। लिहाजा कार्तिका की सोच और तौर तरीकों को समझने के लिए डायरेक्टर कुणाल देशमुख से काफी डिबेट की। चार महीने तक रोजाना दो घंटे नेशनल लेवल कोच से स्वीमिंग की ट्रेनिंग भी ली। यह फिल्म उनके लिए मेंटली और फिजिकली दोनों तौर पर काफी चुनौतीपूर्ण रही है।
कार्तिका की स्किन में जाने में यूनीक ‘शिद्दत’
दैनिक भास्कर से खास बातचीत में राधिका ने कहा, इस किरदार की स्किन में जाने में काफी जद्दोजहद रही। वह इसलिए कि मैं कार्तिका से बेहद अलग हूं। वह जरा ओवरथिंकिंग करने वाली लड़की है। कोई भी प्रॉब्लम आए तो सॉल्यूशन के विकल्पों की लिस्ट बनाने लग जाती है। ऐसे में मैं बतौर राधिका उससे कतई कनेक्ट नहीं करती हूं। लिहाजा उसे समझने के लिए डायरेक्टर कुणाल देशमुख के संग काफी रीडिंग्स कीं। फिजिकली देखा जाए तो कार्तिका एक स्वीमर है। तो मेरी स्विमिंग काफी हुई है।
चेंबूर में रोजाना दो घंटे की स्वीमिंग प्रैक्टिस
मुझे स्विमिंग नहीं आती थी। ऐसे में मैं रोज चेंबूर जाकर दो घंटे की स्विमिंग प्रैक्टिस करती थी। नेशनल लेवल के कोच सर से सीखती थी। वह पूरा प्रॉसेस तीन से चार महीनों तक चला। बाकी कार्तिका के जेहन में जाना मेंटली बड़ा चुनौतीपूर्ण रहा। फिल्म की शूटिंग तो पैंडेमिक से पहले हो गई थी। थोड़े बहुत पैचवर्क हाल के दिनों में हुई हैं।
‘ऐ दिल है मुश्किल’ वाली झलक नहीं है
ट्रेलर देख जिन लोगों को लग रहा कि कार्तिका और जग्गी के बीच संबंध वैसा है, जैसा ‘ऐ दिल है मुश्किल’ में रणबीर और अनुष्का के किरदारों में था तो वह सोचना सही नहीं है। कइयों से सुनने को मिला कि कार्तिका और जग्गी का कन्फ्यूजन वैसा ही है, जैसा इम्तियाज अली की फिल्मों में होता है। इस पर मैं यह कहूंगी कि उन फिल्मों का गहरा असर तो रहा है लोगों पर, मगर यह उससे अलग है। इम्तियाज और कुणाल देशमुख की दुनिया बेहद अलग है। किरदारों के कन्फ्यूजन तो हर फिल्म में होते हैं। वह सिर्फ इम्तियाज अली सर ही नहीं दिखाते। हां उनकी फिल्मों में कन्फ्यूजनों को अहम तरीके से दिखाया जाता है। वह बात तो है।
लेफ्ट और राइट स्वाइप पीढ़ी की सोच पर टेक
यहां हमने डेटिंग ऐप पर लेफ्ट और राइट स्वाइप से प्यार और रिलेशनशिप तय करने वाली जेनरेशन पर एक टेक लिया है। उन्हें पता ही नहीं कि जब सच्चा प्यार उनके दरवाजा खटखटा रहा होता है तो उन्हें उस पर क्या रिएक्शन देने है? वह कंफ्यूजन मे रह जाती है कि यह रियल नही हो सकता। यहां भी जग्गी और कार्तिका के बीच वही होता है। उसके चलते जो द्वंद्व पैदा होता है, ‘शिद्दत’ उसके बारे में है।
महामारी में भी काफी प्रोजेक्ट मिले
पैंडेमिक तो फिलहाल काम पर बेअसर रहा। उस दौरान ओटीटी से काफी प्रोजेक्ट आए। नेटफ्लिक्स के लिए ‘रे’ और ‘फील्स लाइक इश्क’ जैसे प्रोजेक्ट उसी दौरान हुए। अब आगे जियो स्टूडियो के लिए एक सीरीज कर रही हूं। वह दिनेश विजान के बैनर से है। होमी अदजानिया उसके डायरेक्टर हैं। फिर आसमान भारद्वाज की ‘कुत्ते‘ नाम की फिल्म कर रही हूं। मैं जब उनके पिता विशाल भारद्वाज की ‘पटाखा’ कर रही थी, तब आसमान उस पर असिस्टेंट डायरेक्टर थे।‘