कानपुर के पुर्व कमिश्नर इफ्तिखारुद्दीन पर लगा एक और आरोप, सीटीएस बस्ती के अध्यक्ष ने क​हीं ये बात

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(www.arya-tv.com) उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) के चेयरमैन और कानपुर के पूर्व कमिश्नर रह चुके इफ्तिखारुद्दीन को लेकर विवादित वीडियो वायरल होने के बाद अब कुछ ऐसे लोग भी सामने आ रहे हैं, जिनका आरोप है कि पूर्व कमिश्नर ने उनसे मतांतरण की पेशकश की थी। कल्याणपुर स्थित राजकीय उन्नयन बस्ती के पूर्व अध्यक्ष ने आरोप लगाया है कि इफ्तिखारुद्दीन ने बस्ती को उजाडऩे की धमकी देकर सैकड़ों परिवारों के मतांतरण की कोशिश की थी। पूर्व कमिश्नर से जुड़े मामले सामने आने पर उन्होंने भी मुंह खोलने का फैसला लिया।

राजकीय उन्नयन बस्ती के पूर्व अध्यक्ष निर्मल कुमार त्यागी ने बताया कि बस्ती अंग्रेजों ने बसाई थी, जहां करीब 600 परिवार हैं और आबादी करीब पांच हजार है। वर्ष 2016 में अक्टूबर में अचानक एक दिन तत्कालीन कमिश्नर इफ्तिखारुद्दीन का काफिला बस्ती पहुंचा। बस्ती वालों को बताया गया कि उन्हेंं बस्ती खाली करनी होगी, क्योंकि इस जमीन का इस्तेमाल मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए किया जाना है। पूर्व अध्यक्ष के मुताबिक जब कमिश्नर वापस जाने लगे तो उन्होंने समिति के लोगों से कार्यालय में आकर मिलने को कहा। दो दिन बाद वह कमिश्नर कार्यालय में उनसे मिलने गए। उन लोगों ने कमिश्नर को प्रार्थना पत्र दिया, जिसमें गुहार लगाई गई थी कि वह गरीब हैं और उन्हेंं उजाड़ा न जाए। अगर उनसे रहने का आसरा छीना गया तो उनका जीवन संकट में पड़ जाएगा। त्यागी ने आरोप लगाया कि उनके अनुरोध पर कमिश्नर ने प्रलोभन दिया कि अगर वे लोग मतांतरण करें तो खूब पैसा दिलवा देंगे। अलग से बस्ती बन जाएगी।

पूर्व अध्यक्ष ने बताया कि जब कमिश्नर ये बातें कर रहे थे, उसी समय वहां मौजूद एक व्यक्ति ने उनको इस्लाम से जुड़ा साहित्य बांटना शुरू कर दिया। कई दिनों तक बस्ती में पेशकश पर विचार विमर्श होता रहा। हालांकि बस्ती वालों ने तय किया कि वे मतांतरण नहीं करेंगे। बस्ती खाली करने के मामले को लेकर वे लोग अदालत पहुंचे तो संकट टला। बावजूद इसके चौबेपुर निवासी मोइनुद्दीन बस्ती वालों से संपर्क करता रहा, बाद में आना छोड़ दिया।

कास्टिंग यार्ड बनने की थी योजना
मेट्रो प्रोजेक्ट से जुड़े अफसरों ने बताया कि राजकीय उन्नयन बस्ती में मेट्रो के कारिडोर-2 के लिए कास्टिंग यार्ड बनाने की योजना थी। जांच के बाद पता चला कि बस्ती को खाली नहीं कराया जा सकता तो फैसला बदल दिया गया।