योगी से मुकाबले के लिए अखिलेश और शिवपाल आएंगे साथ

UP

(www.arya-tv.com)यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी ने भी तैयारियां तेज कर दी हैं। पुराने रिश्तों और नेताओं को मनाने की कोशिश शुरू हो गई है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि जल्द ही अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल यादव फिर से एक हो सकते हैं। दोनों के बीच सुलह का फार्मूला तैयार हो चुका है। अगर सबकुछ सही रहा तो पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर इसका ऐलान भी हो सकता है। फार्मूले में ये बात भी साफ हुई है कि अगर समाजवादी पार्टी की सरकार बनती है तो अखिलेश अपने चाचा को सम्मान देंगे वहीं भाई आदित्य यादव (शिवपाल के बेटे) को सरकार में अहम जिम्मेदारी देंगे।

अखिलेश यादव का चाचा शिवपाल को ऑफर

खबर है कि सुलह का जो फार्मूला तैयार हुआ है,उसमें अखिलेश यादव की तरफ से चाचा शिवपाल को जो ऑफर दिया गया है, उसमें शिवपाल के बेहद खास लोगों को सपा अपने सिंबल पर चुनाव लड़वाएगी। हालांकि शिवपाल चाहते है कि उनके लोग प्रगतिशिल समाजवादी पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़े। कहा ये भी जा रहा है कि मुलायम सिंह यादव की भी शिवपाल से बात हुई है। बातचीत में शिवपाल सिंह के करीबियों को सम्मान देने का आश्वासन मिला है।

दोनों की मजबूरी, एक-दुसरे के लिए जरुरी

भाजपा पिछले कुछ दिनों से यादव लैंड में अपनी जमीन मजबूत कर रही है। वो जमीन जो समाजवादी पार्टी की सबसे बड़ी ताकत है। कहा जा रहा है कि यादव लैंड में शिवपाल यादव अखिलेश को नुकसान पहुंचा रहें है। करीब 50 से ज्यादा ऐसी सीटें है जिसपर शिवपाल प्रभाव रखते है। शिवपाल वो सींटे भले ना जीत पाएं, लेकिन सपा को हराने मे भूमिका निभा सकते हैं। अखिलेश यादव इस बात को बखूबी जानते है। वही दूसरी तरफ शिवपाल इस चुनाव में अकेले अपने दम पर कोई बड़ा कारनामा नही कर पाएंगे। इसीलिए दोनों एक-दुसरे के लिए मजबूरी है और जरुरी भी ।

अखिलेश और शिवपाल दोनों ने दिखा रहें है नरमी

चुनावी सरगर्मी के बीच कई मौकों पर अखिलेश यादन ने चाचा शिवपाल यादव के साथ गठबंधन के संकेत दिए । अखिलेश ने कई मौकों पर कहा है कि छोटे दलों के साथ गठबंधन करेंगे, पीएसपीएल से भी गठबंधन संभव है। उधर,नवंबर 2020 में, शिवपाल यादव ने कहा था, “2022 के चुनावों के लिए, हम गठबंधन करेंगे। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी मौजूद रहेगी और हम ‘कुंजी’ चिह्न के तहत चुनाव लड़ेंगे। बीजेपी को हटाने के लिए हम समाजवादी पार्टी के सहयोगी होंगे। हम दूसरों के साथ भी बातचीत कर रहे हैं।’