(www.arya-tv.com)उत्तर प्रदेश में बच्चे बुखार से तप रहे हैं। बीते कई दिनों से रहस्यमय बुखार से लगातार हो रही मौतों से आम व खास दोनों ही वर्ग परेशान हैं। सीएम के निर्देश के बाद हरकत में आई स्टेट की हाई लेवल एक्सपर्ट कमेटी भी अभी तक मरने वालों के आकंड़ों पर लगाम लगाने में नाकाम रही है। उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान SGPGI की नोडल अफसर और वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य से इस रहस्यमयी बुखार के विषय में बातचीत की।
सवाल- यूपी में रहस्यमय बुखार के कारण बड़ी तादाद में बच्चों की जानें गई हैं, इस बुखार के पीछे क्या कारण हो सकते है?
जवाब- बुखार रहस्यमय नहीं है, मानसून के सीजन में हर साल ऐसे बुखार का प्रकोप ज्यादा रहता है। इस बार हो सकता है कोरोना के कारण हमारा ध्यान मच्छर जनित रोग और मौसम की बीमारियों पर न गया हो। बुखार के कारण वायरल फीवर, डेंगू, स्क्रब टायफस, इनफ्लुएंजा और लेप्टोस्पाइरा बैक्टीरिया हो सकता है। इन सभी का अपना-अपना इलाज है। समय से उपचार किया जाना जरूरी है।
सवाल- क्या कारण रहा कि यह बुखार जानलेवा बन गया?
जवाब – इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। समय से लक्षणों की पहचान न हो पाने और सही उपचार न हो पाना बड़ा कारण हो सकता है। कई बार DSS यानी डेंगू शॉक सिंड्रोम जैसे गंभीर बीमारी की जद में आने के बाद भी बच्चों को बचाना मुश्किल भी हो जाता है। हालांकि, निर्धारित गाइडलाइन व एक्सपर्ट की निगरानी में उपचार से बच्चों को बचाया जा सकता है। इसके लिए बेहतर चिकित्सकीय व्यवस्था और डॉक्टरों की मौजूदगी होना जरूरी है।
सवाल- हम तैयारी कर रहे थे वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव की लेकिन मौसमी बीमारियों ने ही घुटने पर ला दिया? PICU-NICU वॉर्ड भी हमारे नौनिहालों को नहीं बचा सके?
जवाब- कोरोना की तीसरी लहर को लेकर हम सतर्क रहें। बच्चों को लेकर विशेष तैयारी की गई है और सरकार ने प्रदेश के तमाम जिलों के डॉक्टर्स की टीम को PICU-NICU वॉर्ड समेत पीडियाट्रिक मेडिकल सपोर्ट स्टाफ को भी ट्रेनिंग दी। उन जिलों में कहां कमी रह गई वह तो स्थानीय स्तर पर ही पता चल सकता है। हां, यह जरुर है कि यूपी में अच्छे पीडियाट्रिक एक्सपर्ट हैं और मेडिकल साइंस में इन बीमारियों का इलाज भी है।
सवाल- ऐसी बीमारी से बचने के लिए वैक्सीन या कोई अन्य उपचार है?
जवाब- इनफ्लुएंजा की वैक्सीन है। फ्लू से बचाव के लिए हम बच्चों का सालाना वैक्सीनेशन कराते भी रहे हैं। इसमें कोई लापरवाही भी नहीं बरतनी चाहिए। हां,डेंगू की अभी कोई वैक्सीनेशन प्रक्रिया एस्टेब्लिश नहीं है। वैज्ञानिक इस पर शोध जरूर कर रहे हैं। बेहतर होगा अभी हम इनके बचाव पर ज्यादा फोकस करें।
सवाल- राजधानी लखनऊ के आस-पास के जिलों में फिलहाल कैसी स्थिति है?
जवाब- लखनऊ में फिलहाल हालात नियंत्रण में हैं लेकिन हमें सतर्कता जरूर बरतनी चाहिए। किसी भी तरह की लापरवाही घातक साबित हो सकती है। इस बीच लखनऊ में हाई फीवर लक्षणों के साथ डेंगू के केस बढ़े हैं। इसीलिए एन्टी लार्वा स्प्रे समेत तमाम जरूरी स्टेप्स को उठाने की जरूरत है। साथ ही बुखार के लक्षण को आम समझकर खुद से उपचार नहीं करना चाहिए।
सवाल- इस दौरान किन बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए
जवाब- बच्चों को लेकर हम सभी को बहुत सतर्कता बरतनी चाहिए। मानसून या बरसात के मौसम में उन्हें मैदान व झाड़ियों के बीच नहीं जाना चाहिए। इसके अलावा आसपास के इलाकों में जमा पानी को लेकर भी सतर्क रहना चाहिए। मच्छरों को पनपने का कोई मौका नहीं देना चाहिए। ड्रेन ढंके हुए होने चाहिए, कूलर में बासी पानी जमा नहीं रखना चाहिए। फूलदानों में इस समय पानी खाली कर दें। बाथरूम में कमोड भी ढक कर रखें। बच्चों को फुल आस्तीन के कपड़े पहनाएं। बुखार या इससे जुड़े लक्षणों पर तत्काल किसी विशेषज्ञ चिकित्सक के परामर्श जरूर लेना चाहिए।
कैसे होती है बुखार की पहचान?
- डेंगू की पुष्टि के लिए एलाइजा टेस्ट जरुरी है, NS1 टेस्ट से इसकी पहचान हो सकती है।
- स्क्रब टायफस के लिए भी एलाइजा टेस्ट की पुष्टि होना जरुरी है।
- टायफाइड व वायरल फीवर के लिए ब्लड सैंपल से पता लगाया जा सकता है।
- वेक्टर जनित रोगों से समय से उपचार मिलने से मरीज जल्दी रिकवर हो जाता है।
आम डेंगू से अलग है DSS यानी डेंगू शॉक सिंड्रोम
डॉ.पीयाली कहती हैं कि प्लेन डेंगू से डीएसएस यानी डेंगू शॉक सिंड्रोम कहीं ज्यादा खतरनाक बीमारी है। इसमें तेजी से प्लेटलेट काउंट में कमी आने के अलावा पीलिया व सांस लेने में तकलीफ की भी समस्या देखी जाती है। शरीर मे लाल चकत्ते आ जाते हैं और मरीज की हालत बेहद नाजुक हो जाती है। बच्चे पहले से ही नाजुक होते हैं, उनके लिए यह बीमारी और ज्यादा खतरनाक होती है। यही कारण है कि ऐसे मामलों में इलाज में देरी जानलेवा साबित होती है।