
ये तीनों इस मांग के साथ नौ जुलाई को आईसीई हिरासत केंद्र में अनशन पर बैठ गए थे कि जब तक वे अपने निर्वासन के संबंध में आदेश प्राप्त करते हैं तब के लिए उन्हें रिहा किया जाए। इन तीनों की वकील लिंडा कोरचाडो ने बताया कि ये शरण मांगने यहां आए थे जिनके आवेदन को ठुकरा दिया गया और ये अपने आवेदनों पर पुनर्विचार की मांग कर रहे हैं।
मीडिया में आई खबर के मुताबिक ये तीनों कई महीनों से हिरासत केंद्र में बंद हैं जबकि इनमें से एक को हिरासत में बंद हुए एक साल से भी ज्यादा हो गया है। न्याय मंत्रालय ने पिछले हफ्ते संघीय न्यायाधीशों के समक्ष आवेदन दायर कर तीनों की सहमति के बिना ही इन्हें खाना खिलाने या पानी चढ़ाने की मांग की थी।
वकीलों एवं अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे इस बात से चिंतित है कि अगले कदम के तहत इन्हें जबरन खाना खिलाया जाएगा। कोरचाडो ने कहा कि मेरे मुवक्किलों ने लंबे समय से हिरासत में रखे जाने और उनके आवेदनों के प्रति आव्रजन अदालत के पक्षपाती एवं भेदभावपूर्ण रवैये के खिलाफ अनशन करने का निर्णय लिया।