पाकिस्तान के विदेश मंत्री महमूद कुरैशी ने दी तालिबान को नसीहत, बोला—तालिबान को लेना चाहिए बुद्धि से काम

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(www.arya-tv.com) पाकिस्तान ने भी मान लिया है कि विदेशी सैनिकों की वापसी और तालिबान के कब्जे से उपजे हालात ने अफगानिस्तान को संकट में डाला है। लेकिन साथ ही उसने यह भी कहा है कि आज जो अफगानिस्तान में हो रहा है, उसका उसे लंबे समय से इंतजार था और यह उसके लिए बड़ा मौका है। खुद पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने ये बातें कही हैं। इस दौरान उन्होंने तालिबान को यह भी नसीहत दी कि दुनिया से मान्यता और मदद पाने के लिए उसे बुद्धि से काम लेते हुए वैश्विक नियमों का पालन करना चाहिए।

जियो टीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इस्लामबाद में छठे थिंक टैंक फोरम को संबोधित करते हुए कहा कि अफगानिस्तान में जो महत्वपूर्ण घटनाक्रम चल रहा है उसका क्षेत्र और दुनिया पर दूरगामी असर होगा। कुरैशी ने इसे पाकिस्तान के लिए मौका बताते हुए कहा कि इससे पाकिस्तान को वह पाने का मौका मिला है, जिसके लिए वह लंबे समय से कोशिश कर रहा है।

कुरैशी ने कहा कि अफगानिस्तान में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए उसे इस मौके का इंतजार था। हालांकि, सच्चाई यह है कि तालिबान के कब्जे से वहां अशांति और अराजकता फैल गई है। असल में पाकिस्तान को तालिबान राज का इंतजार इसलिए था ताकि वह अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ कर सके और तालिबान को कंट्रोल करने के नाम पर अमेरिका से आर्थिक मदद हासिल कर सके।

विदेश मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गठबंधन ने पिछले दो दशक में क्षेत्र में सैन्य समाधान की कोशिश की, लेकिन जमीन की सच्चाई को नहीं स्वीकारने की वजह से यह असफल रहा। हालांकि, कुरैशी ने यह माना कि विदेशी सैनिकों की वापसी और राजनीतिक समाधान की अनुपस्थिति ने देश को संकट में डाला है। काबुल में एयरपोर्ट पर बम धमाके का जिक्र करते हुए कुरैशी ने कहा कि यह याद दिलाता है कि देश में स्थिति नाजुक है।

तालिबान को दुनिया से मदद लेने की नसीहत
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने तालिबान को दुनिया से मदद और मान्यता लेने के लिए बुद्धि से काम लेने की सीख दी। उन्होंने कहा कि यह स्थिति मांग करती है कि अफगान नेता बुद्धि दिखाएं और देश को आगे ले जाएं। कुरैशी ने कहा कि दुनिया से मदद पाने के लिए तालिबान को अंतरराष्ट्रीय मतों और नियमों का सम्मान करना चाहिए।