हाईकोर्ट ने कहा- झारखंड में आज भी लोग लोग पत्ता खाने को मजबूर

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(www.arya-tv.com) झारखंड में आज भी यहां के लोगों को जंगली की तरह ट्रीट किया जाता है।बिरहोर समाज के लोग पत्ता खाने को मजबूर हैं। गैस चूल्हा, शौचालय और स्वच्छ पानी तक की भी कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है। जबकि उनकी ही जंगल से हम खनिज पदार्थ निकालते हैं। लेकिन उनका विकास नहीं हो पा रहा है। झारखंड हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी गुरुवार को भूख से मौत मामले की सुनवाई के दौरान की।

कोर्ट ने कहा कि गांव में विकास नहीं पहुंचना ही नक्सलवाद को बढ़ावा देता है। आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां पर राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। राशन के लिए उन्हें 8 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। ऐसे में देखा जाये तो मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएं केवल कागजों तक ही सिमट कर रह गई हैं। अदालत ने सामाजिक कल्याण विभाग के सचिव को अगली सुनवाई के दौरान पेश होने का आदेश दिया। मामले पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।

लकड़ी बेच कर जीवन यापन कर रहे लोग
चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की कोर्ट ने कहा कि ऐसे में यह राज्य सरकार के लिए सोचने की जरूरत है कि योजनाएं धरातल पर पहुंचे। अभी भी कई गांव के लोग लकड़ी बेचकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। यह शर्म की बात है।

क्या सरकार गांव में बुनियादी सुविधाएं भी पहुंचा सकती है
कोर्ट ने कहा कि क्या राज्य सरकार गांव में चिकित्सा सुविधा, स्कूल, शुद्ध पीने का पानी, रसोई गैस जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं उपलब्ध करा सकती है। अदालत ने कहा कि इसके लिए जिम्मेवार अधिकारी कहां है और क्या कर रहे है। सीओ, बीडीओ क्या कर रहे है।

दो साल पहले बोकारो में तीन लोगों की भूख से हो गई थी मौत
दरअसल मामला 2 साल पुराना है। बोकारो के कसमार में एक ही परिवार के तीन लोगों की भूख से मौत की खबर मीडिया में आने के बाद झारखंड हाई कोर्ट ने मामले में स्वत: संज्ञान लिया था। इसमें झालसा से रिपोर्ट पेश करने और सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। सरकार ने कहा था कि भूख से किसी की मौत नहीं हुई थी। जबकि झालसा ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोगों का जीवन दयनीय है।