(www.arya-tv.com) झारखंड में 231 करोड़ से 25 पुल बना तो दिए गए, लेकिन पहुंचने का रास्ता (एप्राेच राेड) ही नहीं बनाया। इससे ये सभी पुल 5 से 10 सालों से बेकार पड़े हैं। कहीं ठेकेदार काम छोड़कर भाग गया है तो कहीं गलत जगह पर ही पुल बना दिया गया है। पुल निर्माण, पथ निर्माण, ग्रामीण कार्य विभाग (आरईओ), पथ प्रमंडल स्पेशल डिवीजन व प्रधानमंत्री सड़क निर्माण योजना के तहत हुआ है। भास्कर ने पड़ताल की कि तो पता चला कि जिम्मेदारों ने इस पर ध्यान नहीं दिया और ठेकेदार को पूरा भुगतान कर दिया।
बोकारो के चंदनकियारी में जहां सड़क है, वहां पुल बनाना था, लेकिन उसके बगल में बना दिया गया। यहां 7.5 करोड़ से ऐसे तीन पुलों का निर्माण किया गया।
बोकारो के चंदनकियारी में जहां सड़क है, वहां पुल बनाना था, लेकिन उसके बगल में बना दिया गया। यहां 7.5 करोड़ से ऐसे तीन पुलों का निर्माण किया गया।
4 कारण… क्यों नहीं चालू हाे सके पुल
1. जमीन अधिग्रहण किया नहीं और पुल बना दिए : बोकारो, सरायकेला में 7 पुलों बनाने से पहले एप्रोच रोड के लिए जमीन अधिग्रहण नहीं किया गया।
2. ठेकेदार ने एप्रोच रोड नहीं बनाया, पर पूरा भुगतान: बोकारो और पलामू में ठेकेदार ने 2 पुलो बनाए। बिल भुगतान हो जाने से एप्रोच रोड नहीं बनाने में दिलचस्पी नहीं ली।
3. जहां जरूरत थी, वहां न बना दूसरी जगह निर्माणबोकारो में 3 और हजारीबाग में 4 ऐसे पुल हैं, जिनका निर्माण जहां जरूरत थी, वहां पुल न कर दूसरी जगह कर दिया गया।
4. एस्टीमेट में एप्रोच रोड का प्रावधान नहीं: 4 जिलों में 8 पुल ऐसे हैं, जिनका एस्टीमेट बनाते वक्त एप्रोच रोड का ध्यान नहीं रखा। ठेकेेदार पुल बनाकर चले गए।आरईओ ने जहां भी पुल बनाए हैं एप्रोच रोड भी बनेंगे
जहां भी आरईओ ने पुल बनाया है, वहां एप्रोच रोड भी बनाया जाएगा। अब ऐसी गड़बड़ी न हो, इसके लिए एप्रोच रोड की संभावना और जमीन की उपलब्धता का पहले अध्ययन होगा। – डाॅ. मनीष रंजन, सचिव, ग्रामीण कार्य विभाग
