- बिहार में असंगठित में 14.25 लाख रोजगार व संगठित क्षेत्र में 60 हजार नौकरियां गईं
(www.arya-tv.com) कोरोना महामारी के कारण देश और राज्य की आर्थिक गतिविधियों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। अर्थव्यवस्था पर पड़े नकारात्मक असर की वजह से न केवल नए रोजगार के अवसर बंद हो गए, बल्कि अनौपचारिक (इनफाॅर्मल) सेक्टर में काम करने वाले बिहार के 14.25 लाख लोगों की नौकरियां भी चली गईं। इनमें सबसे अधिक कोचिंग व निजी स्कूलों के बंद होने से 6 लाख से अधिक लोग बेरोजगार हुए। नतीजतन बिहार में भी बेरोजगारी दर में बढ़ोतरी हुई। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआई) के आंकड़े के मुताबिक बिहार में बेरोजगारी की दर अप्रैल और मई 2020 में 46 % पहुंच गई थी। जनवरी 2021 में 10.50% थी। जून 2021 में भी 10.50% रिकॉर्ड की गई। हालांकि राज्य सरकार की ओर से श्रमिकों को रोजगार देने और उनके कल्याण के लिए मनरेगा सहित कई अन्य योजनाएं चलाई गईं।
पिछले साल मार्च से लेकर जून 2021 तक छिना काम
एमएसएमई : 1 लाख बेरोजगार हो गए
बिहार में एमएसएमई सेक्टर में करीब साढ़े छह लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ था। बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रेसिडेंट रामलाल खेतान बताते हैं कि कोरोना के कारण इस सेक्टर की हजारों इकाइयां बंद हो गईं। जो कुछ चल भी रही थीं वहां मांग कम होने के कारण उत्पादन कम हुआ। इस सेक्टर के एक लाख के करीब लोग बेरोजगार हुए हैं।
रियल एस्टेेट : 3 लाख का काम गया
बिहार में रोजगार उपलब्ध करवाने में रियल एस्टेट का भी बड़ा योगदान है। इस सेक्टर में पांच लाख से अधिक लेबर और राजमिस्त्री को काम मिलता है। लेकिन, कोरोना की प्रथम लहर और दूसरी लहर ने लाखों लोगों को बेरोजगार कर दिया। क्रेडाई बिहार चैप्टर के नागेंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि तीन लाख से अधिक लेबर और राजमिस्त्री कोरोना के डर से घर चले गए।
रिटेल सेक्टर : 4 लाख रोजगार गए
बिहार में कृषि के बाद किसी एक सेक्टर में सर्वाधिक रोजगार मिलता है तो वह है रिटेल सेक्टर। दी कंफेडेरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के प्रदेश अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि बिहार के तकरीबन 6 लाख से अधिक रिटेल की दुकानें बंद रहीं। इन दुकानों पर औसतन चार से पांच लोग काम करते हैं। इन दुकानों पर काम करने वाले चार लाख से अधिक लोग बेरोजगार हुए हैं।
कोचिंग व निजी स्कूल : 6 लाख बेकारी
बिहार में निजी स्कूल और कोचिंग से लाखों लोगों की रोजी-रोटी चलती थी। लेकिन, कोरोना में एक तरह जहां पांच हजार से अधिक निजी स्कूल बंद हो गए। वहीं, मार्च 2020 से ही कोचिंग भी बंद रहे। कोचिंग एसोसिएशन ऑफ बिहार (कैब) के सचिव सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि 6 लाख से अधिक शिक्षक और नन टीचिंग स्टाफ की नौकरी चली गई यानी बेरोगार हो गए।
पर्यटन : 25 हजार से अधिक बेरोजगार हुए
कोरोना के कारण पिछले डेढ़ साल से बिहार के सभी पर्यटक स्थल लगभग बंद रहे। पर्यटक भी नहीं आ रहे। बोधगया ट्रेवल एसोसिएशन (बीटीए) के सुरेश सिंह ने बताया कि पर्यटन का कारोबार कोरोना की भेट चढ़ गया है। करीब 25 हजार से अधिक लोग बेरोजगार हो गए हैं। सोर्स : बीआईए, क्रेडाई, सीआईआई, कैब, बीटीए
खुशी की बात
पिछला वित्तीय 2020-21 पूर्ण रूप से कोरोना प्रभावित रहा है। लेकिन, इस अवधि में बिहार में एमएसएमई सेक्टर में अच्छा खासा पंजीयन हुआ है। सूक्ष्म उद्यम श्रेणी में 77963, लघु उद्यम श्रेणी में 1358 और माध्यम श्रेणी में 196 पंजीयन हुआ है।
महामारी में हुईं राहत की भर्तियां
कोरोना के प्रथम चरण के दौरान : 14550 भर्तियां हुईं भूमि व राजस्व विभाग में 550 अमीन की बहाली स्वास्थ विभाग में 10 हजार नर्स, 4 हजार डॉक्टर दूसरी लहर: 64वीं बीपीएससी के तहत 1454 अधिकारी 7 विभागों के लिए 1240 सिविल इंजीनियर पुलिस विभाग में 2063 दारोगा, 215 सार्जेट और 125 जेल अधीक्षक प्रारंभिक स्कूलों में काउंसिलिंग के बाद 15836 शिक्षक चयनित
उम्मीद: अगले 6 माह में इन विभाग में बहाली
प्रारंभिक शिक्षक 90762 हाई स्कूल शिक्षक 32,000 सहायक प्रोफेसर 4638 तृतीय वर्ग कर्मचारी 13,000 सिपाही 8500 फियरमैन 2380 टेक्नीशियन 1700 न्यायिक सेवा अधिकारी 221 सहायक अभियोजन 553 65 वीं बीपीएससी 434 66 वीं बीपीएससी 562 डॉक्टर 5500 शिक्षक, इंजीनियरिंग कॉलेज 2095 शिक्षक, पॉलिटेक्निक कॉलेजों 1182
ये भी संभावित रिक्तियां
9000 नर्स 3310 इंजीनियरिंग कॉलेज (नॉन टीचिंग) 2183 पॉलिटेक्निक कॉलेज (नॉन टीचिंग) 624 वेटनरी डॉक्टर 1600 कार्यपालक सहायक 8000 फिजिकल टीचर 3500 तृतीय वर्ग के कर्मचारी 2400 आईटीआई में इंस्ट्रक्टर 4503 नगर विकास विभाग
59466 पीएफ खाते बंद, यानी नौकरी खत्म
कोरोना संगठित क्षेत्र में काम करने वाले नौकरीपेशा वालों के लिए भी आफत बनकर टूटा है। कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) खाते को बंद कराने की स्थिति इसकी बयां कर रही है। कोरोना की पहली लहर से अभी तक संगठित क्षेत्र में काम करने वालों के 59466 पीएफ एकाउंट बंद हुए हैं। जिसमें 46080 पीएफ खाते वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान और चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 के प्रथम तिमाही में 13386 खाते बंद हुए हैं।
ये सभी वे लोग हैं जिनकी नौकरी कोरोना के कारण गई है। इन खातों से 400 करोड़ से अधिक की राशि निकाली गई। पिछले वित्तीय वर्ष में बिहार के नौकरीपेशा लोगों ने 3.58 लाख पीएफ खातों से जरूरत के लिए राशि की निकासी की, इस साल भी यही ट्रेंड है।