गोंडा DM से दुखी होकर ACMO ने दिया इस्तीफा:डीएम पर अभद्र भाषा का आरोप

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(www.arya-tv.com)उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के डीएम के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाते हुए अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (एसीएमओ) ने इस्तीफा दे दिया। एसीएमओ ने बुधवार को अपना इस्तीफा मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) को सौंप दिया। इस्तीफे में उन्होंने डीएम पर असंसदीय भाषा का प्रयोग करने और डॉक्टरों का अपमान करने का आरोप लगाया है। एसीएमओ के इस्तीफे के बाद सीएचसी अधीक्षकों ने भी डीएम के खिलाफ मार्चा खोल दिया है। देर रात जिले के 16 सीएचसी अधीक्षकों ने भी अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है।

क्या है पूरा मामला
कोरोना को लेकर प्रतिदिन जिलाधिकारी मार्कंडेय शाही की अध्यक्षता में गठित स्वास्थ्य समिति की बैठक होती है। आरोप है कि, मंगलवार की शाम को समीक्षा बैठक में डीएम मार्कंडेय शाही ने एसीएमओ अजय प्रताप सिंह को अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए फटकार लगाई थी। डीएम ने उनके लिए जमूरा, निकम्मा जैसे अभद्र शब्दों का प्रयोग कई बार किया। जिससे आहत होकर अगले दिन उन्होंने इस्तीफा दे दिया। अयज कुमार ने आरोप लगाते हुए कहा कि, बैठक में डीएम लगातार मेरे मनोबल को गिराने का काम कर रहे हैं। इस परिस्थितियों में मानसिक आहत होने के कारण अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी के रूप में अपनी सेवा देने में असमर्थता जताते हुए उन्होंने त्यागपत्र दे दिया है ।

डीएम बोले- तुम दवाओं का ब्यौरा मांगने वाले होते कौन हो
अपने त्याग पत्र में उन्होंने सीमा बैठक का जिक्र करते हुए लिखा कि, बेलसर सामुदायिक स्वास्थ्य द्वारा सेंपलिंग कम होने पर कहा गया कि क्यों ना इन्हें बेलसर का प्रभारी बना दिया जाए। जबकि मैं लेवल 4 का अधिकारी हूं। लगातार मेरे मनोबल को गिराने का काम किया जा रहा है। यही नहीं इससे पूर्व की समीक्षा बैठक में डीएम द्वारा जमूरा, निकम्मा जैसे अभद्र शब्दों का प्रयोग कई बार किया जा चुका है। पत्र में आगे कहा गया है कि, निगरानी समितियों के पास मेडिकल किट की समीक्षा करते हुए डीएम ने प्रमाण पत्र देने को कहा। शासन द्वारा उपलब्ध समस्त दवाएं निगरानी समितियों को सौंप दी गई हैं। जब उनके द्वारा यह बताया गया कि, विभाग ने चार चरणों में मेडिकल किट समस्त खंड विकास अधिकारियों को सौंप दी है। इसपर मैंने कहा कि, अभी पर्याप्त मात्रा में निगरानी समितियों के पास दवा है । शेष दवा देने से पहले अब तक दी गई दवाओं की उपयोगिता की जानकारी होनी चाहिए। निगरानी समितियों को उपयोग की गई दवाओं का प्रमाण पत्र देने के साथ मेडिकल किट का ब्यौरा मांगा जाना चाहिए ? यह सुन डीएम मुझे डांटने लगे और चुप रहने की सलाह देते हुए बोले तुम दवाओं का ब्यौरा मांगने वाले कौन होते हो।

ये काम स्वास्थ्य विभाग का है, जैसे चाहे वैसे कराए

उन्होंने त्याग पत्र में आगे लिखा, जब उन्होंने बैठक में बताया कि, जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराए गए अनुदेशकों को बेरी फायर का प्रशिक्षण दिए जाने के बाद भी वह अपनी सेवा नहीं दे रहे हैं। जो इसपर डीएम बोले, ऐ काम स्वास्थ्य विभाग का है वो जैसे चाहे वैसे कराए। इस्तीफा देने को लेकर उन्होंने कहा कि, इन परिस्थितियों में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी के रूप में मानसिक आहत होने के कारण अपनी सेवा देने में असमर्थ हूं। इसलिए मैंने पद से त्यागपत्र दे दिया है।