(www.arya-tv.com)बसपा सरकार में हुए 1400 करोड़ के स्मारक घोटाले के जांच की आंच अब सचिवालय तक पहुँच रही है। 2007 से 2011 के बीच हुए इस महाघोटाले में शामिल तत्कालीन मंत्रियों के साथ उनके विभागों के प्रमुख सचिवों को भी विजिलेंस ने नोटिस भेज दिया है। इनसे किए जाने वाले सवालों की प्रश्नावली भी तैयार की जा चुकी है।
विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहा विजिलेंस स्मारक घोटाले की जांच तेज करती जा रही है। बीते एक महीने में 6 गिरफ्तारियां करने के बाद अब घोटाले में शामिल बड़े अधिकारियों और मंत्रियो पर शिकंजा कस रही है। इसी कड़ी में मुकदमे में आरोपी पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और नसीमुद्दीन सिद्दीकी को नोटिस भेजकर 15 जुलाई तक बयान दर्ज करवाने के लिए बुलाया गया है।
घोटाले का तानाबाना बुनकर फर्जी बिल पास करने वाले अधिकारियों पर लटकी तलवार
विजिलेंस सूत्रों का कहना है कि बसपा सरकार में बने पाचो पार्को में घोटाले का तानाबाना मंत्रियो के साथ मिलकर अधिकारियों ने बुना था। इसमे खनन, लोक निर्माण और नगर विकास विभाग के तत्कालीन प्रमुखों की बड़ी भूमिका थी। इसके अलावा इन विभागों के कई अन्य अधिकारी भी शामिल थे। इन अधिकारियों ने पत्थर के ठेकों से लेकर निर्माण में लगे अन्य मटेरियल का बड़े पैमाने पर फर्जी बिल का भुगतान किया था। इनमें कुछ अधिकारी रिटायर्ड हो चुके हैं। लेकिन ज्यादातर अफसर अब भी अहम पदों पर तैनात हैं।
एक जवाब से तैयार होगा दूसरे अधिकारी का सवाल
विजिलेंस अधिकारियों का कहना है कि सभी आरोपियों से कुछ कॉमन सवाल किये जाएंगे। इसके बाद एक अधिकारी के जवाब पर दूसरे के लिए सवाल तैयार किया जाएगा। आखिर में सभी अधिकारियों के जवाब को जोड़कर मंत्रियों से वह सवाल किये जायेंगे जो उनसे सच कुबूल करवाने के लिए काफी हो।
विभागवार अलग-अलग फेज में पूरी की जा रही है जांच
स्मारकों के निर्माण से पहले मंत्रियों और अधिकारियों ने जिस तरह से फसने के हर रास्ते बंद करके घोटाले की जमीन तैयार की थी, विजिलेंस उसी तरह योजनाबद्ध तरीके से उनपर कानूनी शिकंजा कस रही है। इसके लिए निर्माण करवाने वाली कार्यदायी संस्थाओं और टेंडर से लेकर भुगतान तक के लिए जिम्मेदार शासन के अधिकारियों की जांच अलग-अलग फेज में की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक पहले फेज में निर्माण निगम और विकास प्राधिकरण के अधिकारियों से पूछताछ करके उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। दूसरे चरण में अब नगर विकास, लोक निर्माण और खनन विभाग के मंत्रियों और शासन स्तर के अधिकारियों के भूमिका तय की जा रही है।