डेल्टा प्लस वैरिएंट पर PGI डायरेक्टर की चेतावनी:डॉ. धीमन बोले, डेल्टा प्लस ही तीसरी लहर का सबसे बड़ा खतरा

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(www.arya-tv.com)कोरोना के नए वैरिएंट डेल्टा प्लस को लेकर उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज यानी SGPGIMS, लखनऊ के डायरेक्टर डॉ. आरके धीमन ने चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर में डेल्टा प्लस वैरिएंट सबसे बड़ा खतरा है।
यह वैरिएंट अब तक के तमाम वैरिएंट में सबसे ज्यादा खतरनाक है। कई गुना ज्यादा तेजी से तो ये फैलता ही है, इससे मल्टीआर्गन फेल्योर का खतरा भी अधिक हो जाता है। मतलब अगर सही समय पर इलाज न मिले तो मौत का खतरा अधिक हो जाता है।

अभी तक यूपी में डेल्टा प्लस के मामलों की पुष्टि नही हुई है। हालांकि, मध्य प्रदेश जैसे पड़ोसी प्रदेश में इसके कई मामले आ चुके हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र और केरल में भी लोग डेल्टा प्लस से संक्रमित मिले हैं। अब तक 11 देशों में डेल्टा प्लस के 200 से अधिक केस पाए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 50 मरीज भारत में हैं। इसलिए हमें ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है।जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिए इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। अभी तक करीब 15 दिनों में यह काम होता था पर अब इसे और जल्दी करने की तैयारी है। 7-10 दिन में इसके रिजल्ट आने से यह क्लियर हो जाएगा। दूसरी लहर की दौरान हुई सैंपलिंग के जीनोम सिक्वेंसिंग में 80% से ज्यादा में डेल्टा वैरिएंट के केस मिले थे। अब डेल्टा प्लस वेरिएंट आ रहा है, ये बहुत खतरनाक है।यह ज़रूरी बात है। डेल्टा प्लस मल्टी आर्गन फेल्योर की वजह बन सकता है। मतलब लंग्स के अलावा ब्रेन, किडनी, लीवर, हार्ट समेत 18 हिस्सों को प्रभावित कर सकता है। इसलिए सतर्कता ज़रुरी है।

E-CAB (ई-कैब) यानी एक्सटेंडेड कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर ही इसके प्रिवेंशन का सटीक तरीका है। मतलब कोविड नियमों का पालन करने से ही इससे बचा जा सकता है। लोगों को मास्क पहनना होगा। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। वैक्सीनेशन अनिवार्य रूप से करावाएं। यह बेहद ज़रुरी है और डेल्टा प्लस वैरिएंट में भी 60% से ज्यादा इफेक्टिव साबित होगा।

ऐसे समझिए डेल्टा व डेल्टा प्लस वेरिएंट को

  • अक्टूबर 2020 में यह वैरिएंट अस्तित्व में आया।
  • US में आए नए 20% कोरोना के मामले इसी वैरिएंट के हैं।
  • पहले से ज्यादा संक्रामक और शुरुआती ‘WILD’ (वाइल्ड) वैरिएंट से चार गुना ज्यादा स्प्रेडर।
  • इसी का नतीजा रहा कि दूसरी लहर में ज्यादा लोग हॉस्पिटलाइज्ड हुए और ICU की भी ज्यादा जरूरत पड़ी।

डेल्टा प्लस से बचाव क्यों जरूरी?

  • कोरोना का अब तक का सबसे भयावह वैरिएंट है।
  • ज्यादा मौतें होने का भी खतरा।
  • मल्टी ऑर्गन फेल होने की ज्यादा संभावना।
  • डेल्टा प्लस वैरिएंट शरीर के 18 अंगों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है।
  • अन्य बीमारियों से जूझ रहे लोगों को सबसे ज्यादा खतरा।