UP में जिपं अध्यक्ष चुनाव पर घमासान:अखिलेश यादव बोले- BJP जनादेश का सम्मान नहीं करती

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(www.arya-tv.com)उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव हो रहा है। इस चुनाव को ‘सत्ता का सेमीफाइनल’ कहा जा रहा है। साफ है कि ये सभी सियासी दलों के लिए बेहद अहमियत रखता है। इसीलिए भाजपा और समाजवादी पार्टी दोनों ही इस चुनाव में अपने ज्यादा से ज्यादा सदस्यों को जिताना चाहते हैं। बीते शनिवार को हुए नामांकन के दौरान दोनों पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों को निर्विरोध जिताने के लिए खूब दमखम दिखाया।

भाजपा ने 17 जिलों में निर्विरोध जीत हासिल की तो समाजवादी पार्टी ने बड़े गंभीर आरोप लगाए। इसके बाद से ही भाजपा और समाजावादी पार्टी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। उम्मीदवारों के नामांकन के दौरान जो गड़बड़ियां हुई हैं, सपा जहां इसे लोकतंत्र की हत्या बता रही है तो भाजपा का कहना है कि अपनी हार की वजह से अखिलेश यादव अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं।

भाजपा जनादेश का सम्मान नहीं करती: अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का कहना है कि भाजपा ने जिस तरह से जिलों में पंचायत अध्यक्षों के नामांकन अलोकतांत्रिक तरीके से रोका है, उससे इन चुनाव की निष्पक्षता एवं पवित्रता नष्ट हुई है। यह लोकतंत्र की हत्या की साजिश है। वाराणसी एवं गोरखपुर में भी जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव में भाजपा बुरी तरह पराजित हुई थी, ऐसे में उनके अध्यक्षों का निर्विरोध निर्वाचन एक चमत्कार से कम नहीं। धन बल-छल बल और सत्ता बल का ऐसा अनैतिक खेल खेलकर भाजपा ने साबित कर दिया है कि वह जनादेश का सम्मान करना नहीं चाहती है, उसका इरादा उसको कुचलने का रहता है।

भाजपा नेतृत्व और उसकी सरकार की राजनीति सत्ता के इर्द-गिर्द ही घूमती है। जनहित और नैतिक मूल्यों के प्रति उसकी दिलचस्पी नहीं दिखती है, जबकि समाजवादी पार्टी लोकतंत्र और विकास के लिए प्रतिबद्ध है। भाजपा का चरित्र संविधान की रक्षा की शपथ और लोकतंत्र के आचरण के खिलाफ है। लोकतंत्र को नकारना भाजपा को बहुत मंहगा पड़ेगा। साल 2022 में जनता पूरा हिसाब लेगी।

अखिलेश जी अभी वर्क फ्रॉम होम में ही बिजी: स्वतंत्र देव सिंह

अखिलेश यादव के इन आरोपों पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने पलटवार किया है। स्वतंत्र देव ने कहा कि समाजवादी पार्टी में जहां परिवार ही पार्टी तथा सरकार रही हो उसके प्रमुख अखिलेश यादव का लोकतांत्रिक मूल्यों की दुहाई शोभा नहीं देता है। अब जब वे पंचायत चुनावों में भी करारी हार के करीब हैं तो अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं।

सपा की कार्य संस्कृति अराजकता, गुंडागर्दी, राजनीतिक अपराधीकरण तथा भ्रष्टाचार की रही है। उसके राजनीतिक मूल्यों में जातिवाद, परिवारवाद तथा तुष्टीकरण समाहित है। उन्होंने निजी हितों की पूर्ति के लिए संवैधानिक संस्थाओं पर भी हमला करने में तनिक संकोच नहीं किया। अब जब वही संस्थाएं संविधान के दायरे में काम कर रही हैं तो आज सपा प्रमुख विचलित हो रहे हैं। समाजवादी पार्टी 2014 से चुनाव दर चुनाव लगातार हार का सामना कर रही है। इसके बावजूद अखिलेश अभी वर्क फ्रॉम होम में ही बिजी हैं।