लखनऊ के सबसे बड़े स्कूल के संचालक ने उठाए सवाल, कहा- बगैर परीक्षा के छात्रों को पास करने से बिगड़ जाएगा भविष्य

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(www.arya-tv.com)सीबीएसई बोर्ड के छात्रों को बिना परीक्षा कराये पास करने के फैसले पर राजधानी के सबसे बड़े स्कूल संचालक ने सवाल उठाए हैं। सिटी मांटेसरी स्कूल (सीएमएस) के संस्थापक डॉक्टर जगदीश गांधी ने सरकार से बिना परीक्षा कराए बच्चों को पास किये जाने के निर्णय पर सवाल उठाते हुए पुनर्विचार की मांग की है।

डॉक्टर जगदीश गांधी ने कहा कि जब भारत सरकार एवं राज्य सरकारों के अथक प्रयास से देश भर में कोरोना संक्रमण की रफ्तार पर लगभग पूरी तरह से नियंत्रण हो चुका है, और देश के कई राज्यों में लाॅकडाउन भी खत्म हो चुका है, ऐसे में कड़ी मेहनत करने वाले मेधावी छात्रों के साथ अन्याय को रोकने के लिए सी.बी.एस.ई. बोर्ड को 12वीं कक्षा के बोर्ड परीक्षा को करवा देना चाहिए।

शिक्षाविद् एवं ग्रिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में एक ही शहर में सबसे अधिक बच्चों की संख्या (वर्तमान में 55000) वाले सिटी मोन्टेसरी स्कूल के संस्थापक-प्रबंधक डाॅ. जगदीश गांधी ने कहा कि 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा को रद्द करने के निर्णय से उत्पन्न परिस्थतियों में सभी छात्रों का सही इवैल्यूएशन संभव नहीं है। ऐसे में देश भर के मेधावी छात्र उच्च शिक्षा के लिए देश-विदेश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में अपने प्रवेश को लेकर चिंतित है।

उनका कहना है कि यदि स्कूलों द्वारा दिये गये अंकों के आधार पर परीक्षाफल घोषित किया जाता है, तो ऐसे में उन मेधावी छात्रों के साथ अन्याय होगा, जिन्होंने 2 साल तक लगातार बोर्ड परीक्षा की तैयारी की है। इसके साथ ही एक डर यह भी है कि ट्रांसपेरेंट इवैल्यूएशन के अभाव में स्कूल जहाँ मनमानी रूप से बच्चों को नंबर दे सकते हैं, तो वहीं मेधावी छात्रों का कमजोर छात्रों के साथ मूल्यांकन करना भी मेधावी छात्रों के साथ अन्याय होगा।

डाॅ. गांधी ने कहा कि कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा के अंक के आधार पर मिलता है दाखिला
यही कट-आफ प्रवेश प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और निष्पक्ष बनाता है।इसलिए अगर छात्रों की बोर्ड परीक्षा नहीं करवायी जाती तो विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए उनका कटऑफ कैसे निर्धारित होगा? और इसके न होने की दशा में छात्रों की एक बहुत बड़ी संख्या स्नातक प्रवेश परीक्षा में शामिल होगी और उस दशा में किसी भी विश्वविद्यालय के लिए इतनी बड़ी संख्या में छात्रों की प्रवेश परीक्षा आयोजित करना बहुत टेढ़ी खीर साबित हो सकती है।इसलिए भारत सरकार को देश भर के मेधावी छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए 12वी बोर्ड परीक्षा को रद्द करने के अपने फैसले पर एक बार पुनः विचार करना चाहिए।

डाॅ. गांधी ने कहा कि सीबीएसई की 12वीं की परीक्षा को रद्द करते समय बोर्ड द्वारा इस बात का विकल्प खुला रखा गया था कि आने वाले समय में कोरोना महामारी के नियंत्रित होने पर बोर्ड परीक्षाओं को आयोजित करवाया जा सकता है। साथ ही केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने नीट और जेईई की परीक्षाओं को आयोजित करने को कहा है और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) अगले हफ्ते तक नीट और जेईई से जुड़ी परीक्षा का कार्यक्रम जारी करने जा रही है।

ऐसे में अब जब कि केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के अथक प्रयास से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जुलाई माह तक देशभर से कोरोना मरीजों की संख्या लगभग खत्म हो जायेगी, सी.बी.एस.ई बोर्ड द्वारा कक्षा-12 की बोर्ड परीक्षाओं को जुलाई-अगस्त में करवाना न केवल छात्रों के हित में है बल्कि राष्ट्र हित में भी है।इसलिए सरकार को इसे विषय पर जरुर सोचना चाहिए।