(www.arya-tv.com)उत्तर प्रदेश में दिन प्रतिदन कोरोना का कहर तेजी से फैलता जा रहा है। हर तरफ संक्रमण से हाहाकार मचा हुआ है। इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण से निपटने के सरकारी तौर तरीकों की तीखी आलोचना करते हुए कहा है कि सरकार माई वे या नो वे का रास्ता छोड़े और लोगों के सुझावों पर भी अमल करे। नागरिकों को ऑक्सीजन न दे पाना शर्मनाक है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने कोरोना मामले मे कायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। हाई कोर्ट ने अधिक संक्रमित प्रदेश के नौ शहरों के लिए कई सुझाव दिए हैं और उन पर अमल करने तथा सचिव स्तर के अधिकारी के हलफनामे के साथ तीन मई तक अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
राज्य चुनाव आयोग को नोटिस जारी करते हुए अदालत ने पूछा है कि पंचायत चुनाव के दौरान सरकार की गाइडलाइंस का पालन क्यों नहीं किया गया, जिसकी वजह से चुनाव ड्यूटी कर रहे 135 लोगों की मौत की खबर है। कोर्ट ने पूछा कि क्यों न उसके खिलाफ आपराधिक अभियोग चलाया जाए। कोर्ट ने बचे चुनाव में गाइडलाइंस का पालन का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई तीन मई को होगी।
सड़कों पर दिन रात मार्च कर रहा कोरोना का भूत
कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि कोरोना का भूत गली, सड़क पर दिन-रात मार्च कर रहा है। लोगों का जीवन भाग्य भरोसे है। भय से सड़कें, गलियां रेगिस्तान की तरह सुनसान पड़ी हैं। शहरी आबादी कोरोना की चपेट में है।
अदालत ने कहा कि बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं और जीवन बचाने के लिए बेड की तलाश में अस्पतालों का चक्कर लगा रहे हैं। अस्पताल मरीजों की जरूरत पूरी करने में असमर्थ हैं। डॉक्टर, स्टाफ थक चुके हैं। जीवन रक्षक दवाओं , इंजेक्शन की मारामारी है। ऑक्सीजन, मांग और आपूर्ति के मानक पर खरी नहीं उतर रही। नकली दवाएं, बेचते पकड़े जा रहे हैं। सरकार के उपाय नाकाफी हैं।
वहीं राज्य सरकार ने अपना पक्ष रखा
कोरोना मसले को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाई कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए हरसंभव उपाय किए गए हैं। गृह सचिव ने हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को किए गए उपायों की जानकारी दी है। राज्य सरकार की तरफ से दिए गए हलफनामे के अनुसार प्रदेश को 857 मीट्रिक टन आक्सीजन आवंटित हुआ है। आक्सीजन की कमी को खत्म करने के कदम उठाए जा रहे है। सप्लाई के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है। मांग और आपूर्ति में अंतर पाटने का प्रयास किया जा रहा है।
कोर्ट ने सरकार को दिए सुझाव
- बड़े शहरों में हेल्थ बुलेटिन जारी करे ताकि मरीजों के परिजन का अस्पताल पर दबाव न बढ़े।
- पोर्टल पर भी अस्पतालों में बेड की स्थिति की जानकारी दी जाए।
- एंटीजेन रिपोर्ट निगेटिव होने पर अस्पताल मरीज को भर्ती करने से मना न करे।
- संविदा पर स्टाफ नियुक्त किए जाएं। अस्पतालों में दवा, ऑक्सीजन आदि की उपलब्धता बनी रहे।
- डाक्टर, हेल्थ वर्कर को छह घंटे के रोटेशन पर तैनात किया जाय। अधिक कोविड सेंटर बनाए जाने पर विचार हो।
- कोरोना की वास्तविक मौत का आंकड़ा कोर्ट के नोडल अधिकारी को दी जाए।
- पुलिस थाना प्रभारी अपने क्षेत्र मे गाइडलाइंस के तहत दाह संस्कार करा कर ब्योरा स्थानीय निकाय को दें।