(www.arya-tv.com)कोरोना से शीर्ष संक्रमित देशों में शामिल रहे ब्रिटेन में रोजाना नए मरीज 3 हजार से नीचे और रोजाना मौतें 50 से कम हो गई हैं। यानी जनवरी के पीक से नए मरीज 90% घट गए हैं। इस साल के शुरुआती दिनों में यहां रोजाना 50 हजार से ज्यादा नए मरीज मिल रहे थे। फरवरी के बाद यूरोप में कोरोना की नई लहर आई और नए मरीजों की संख्या कई गुना बढ़ गई। वहीं, ब्रिटेन में फरवरी के बाद नए केस दो तिहाई घट गए हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक सबसे अधिक संक्रमित होने के बाद ब्रिटेन ने कोरोना को नियंत्रित करने का सबसे सफलतम उदाहरण पेश किया है। इमपेरियल कॉलेज ऑफ लंदन ने एक रिसर्च के आधार पर कहा है कि ब्रिटेन ने तेज वैक्सीनेशन और योजनाबद्ध तरीके से चरणवार लॉकडाउन लगाया।
लिहाजा इंफेक्शन और मौतों के बीच चेन को तोड़ने में कामयाब हुआ है। ब्रिटेन ने 14 दिसंबर से अपने देश में वैक्सीनेशन शुरू किया। अब तक वह अपनी 48% से ज्यादा आबादी को पहला डोज दे चुका है। लंदन में दो दिन ऐसे आए जब कोरोना से एक भी मौत नहीं हुई। अब यहां अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
जॉनसन ने 4 जनवरी को ही 6 महीने की योजना घोषित की
पीएम जॉनसन ने 4 जनवरी-21 को अगले 6 महीने के लिए नई पाबंदियों की घोषणा की। लेकिन योजना के साथ चरणबद्ध तरीका स्पष्ट था। इसमें कहा गया था कि 8 मार्च से स्कूल खुल जाएंगे। 29 मार्च से लोग दो परिवार या 6 लोग बाहर जा सकेंगे। 12 अप्रैल से गैरजरुरी दुकानें खुल जाएंगी। 21 जून से सभी कानूनी प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे।
छोटी शिकायतों पर कुछ ने वैक्सीन रोकी, ब्रिटेन ने नहीं
ब्रिटेन में एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लग रही है। कई देशों ने वैक्सीन से ब्लड क्लॉटिंग की चंद शिकायतों के बाद इसे रोक दिया। ब्रिटेन ने कहा वैक्सीन से नुकसान के मुकाबले इसका फायदा लाख गुना ज्यादा है। उसने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लगानी जारी रखी। वहीं, यूरोप वैक्सीनेशन में पिछड़ गया। लिहाजा ब्रिटेन संक्रमण की चेन तोड़ने में सफल रहा।
जर्मनी में लग सकता है छोटा लेकिन सख्त लॉकडाउन
जर्मनी में नए केस तेजी से नहीं घटने की वजह से सरकार चिंतित है। चांसलर एंगेला मर्केल छोटे समय के लिए सख्त लॉकडाउन के पक्ष में हैं। जर्मनी में नवंबर से ही कई तरह के प्रतिबंध हैं लेकिन नए केस कम नहीं हो रहे हैं। लिहाजा सरकार चाहती शॉर्ट नेशनल लॉकडाउन लगाया जाए। 16 से ज्यादा राज्य इस पर राजी भी हैं।
6 महीने के प्रतिबंध में हर चीज के खुलने की समय-सीमा तय थी
ब्रिटेन में लॉकडाउन का सितंबर में भी विरोध हुआ। फिर जनवरी में नए लॉकडाउन के बाद भी कुछ जगह विरोध हुआ लेकिन सरकार सख्त रही। जनवरी में लगे लॉकडाउन में हर चीज के खुलने की समय-सीमा घोषित थी, लिहाजा लोगों में डर नहीं बैठा।