कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद अब कानपुर पुलिस सभी वर्गों को जोडऩे के लिए करेगी इस काम की शुरूआत

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(www.arya-tv.com) कानपुर में कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद पुलिस अब एक नए तरीके का काम शुरू करने जा रही है। आइए जानते हैं आखिर क्या है इस काम का तरीका।

कमिश्नरेट पुलिस ने कानून व्यवस्था के संचालन में समाज के सभी वर्गों का सहयोग लेने का फैसला लिया है। इसके लिए पुलिस मिशन सहयोग नाम से एक अभियान चलाने जा रही है, जिसमें पुलिस अधिकारी एक-एक करके समाज के सभी वर्गों से रूबरू होंगे। उनकी समस्याएं सुनेंगे और अपनी व्यवस्थाओं की जानकारियां देकर संचालन में मदद मांगेंगे। पुलिस आयुक्त असीम अरुण ने बताया कि मिशन सहयोग के तहत पुलिस डॉक्टरों, अधिवक्ताओं, व्यापारी, उद्यमियों, बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े लोगों और समाज सेवियों से आगे बढ़कर स्वयं संपर्क करेगी।

इस अभियान की शुरूआत बैंक कर्मियों से की गई है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए सात अप्रैल को शाम चार बजे वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से बैठक होगी। बैठक में पुलिस अधिकारी बैंकर्स को बताएंगे कि पुलिस उन्हेंं किस प्रकार की सेवाएं देती है। जैसे कि डायल 112 को बैंकों की आपातकालीन प्रणाली से जोड़ दिया गया है। इसी तरह से समाज के अन्य वर्गों से आने वालों दिनों में पुलिस सहयोग मांगेगी। इन बैठकों में सभी राजपत्रित पुलिस अधिकारी मौजूद रहेंगे। बैठक में जो बिंदु तय होंगे, उनके क्रियान्वयन के लिए अलग से सेल बनेगा, जिसकी लगातार समीक्षा होगी।

कानपुर कमिश्नरेट और कानपुर आउटर पुलिस में होगा संसाधनों का बंटवारा : कानपुर पुलिस कमिश्नरेट लागू होने के बाद दो हिस्सों में बंट गई है। कमिश्नरेट पुलिस और कानपुर आउटर पुलिस। अब दोनों के बीच संसाधनों का बंटवारा होना जा रहा है। फोर्स के साथ-साथ हथियार, गाड़ी, बंगला आदि का बंटवारा होगा। पुलिस आयुक्त असीम अरुण ने बताया कि प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

एसपी ग्रामीण बने कमिश्नरेट पुलिस का हिस्सा : पूर्व की व्यवस्था में एसपी ग्रामीण के पद पर रहे बृजेश कुमार श्रीवास्तव अब कमिश्नरेट पुलिस का हिस्सा बन गए हैं। फिलहाल उन्हेंं एडीसीपी बनाकर मुख्यालय की जिम्मेदारी दी गई है।

बार एसोसिएशन ने कोर्ट बढ़ाने की मांग की : कानपुर बार एसोसिएशन के मंत्री राकेश तिवारी ने सोमवार को अपर पुलिस आयुक्त डॉ. मनोज कुमार और आकाश कुलहरि से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि पुलिस लाइन में इस समय केवल एक एसीपी कोर्ट संचालित हो रही है। इससे रोजाना रात हो जा रही है। इसके अलावा 107/16 के मामलों में भी जमानतें ली जा रही हैं, जबकि उसमें केवल पाबंद किए जाने का प्रावधान है। उन्होंने मांग की कि कोर्ट बढ़ाई जाएं और पाबंद किए जाने के मामलों में जमानत का नियम समाप्त किया जाए।