(www.arya-tv.com) कोरोना संक्रमण की रफ्तार एक बार फिर तेज हो गई है. देश के कई राज्यों में हालात खराब होने के कारण लॉकडाउन की आशंका जताई जा रही है. यहां तक कि यूरोपियन देशों में भी कोरोना से बचाव की गाइडलाइन में नरमी बरतते ही मामले बेकाबू होते दिख रहे हैं. इस बीच अमेरिका फिजिकल डिस्टेंसिंग के नियम में ढिलाई बरतने की सोच रहा है.
वहां आने वाले समय में 6 फुट की दूरी को घटाकर 3 फुट किया जा सकता है. वाइट हाउस के कोरोना वायरस टास्क फोर्स के लीडर डॉ. एंथोनी फाउची ने इस तरह के संकेत दिए. रविवार को सीएनएन के एक कार्यक्रम में बोलते हुए डॉ फाउची ने बताया कि सरकार और मेडिकल के जानकार फिजिकल डिस्टेंसिंग के नियम में बदलाव करने की सोच रहे हैं.
बता दें कि 80 वर्षीय डॉ फाउची जाने-माने अमेरिकी फिजिशियन और इम्युनोलॉजिस्ट हैं, जिनकी गाइडलाइन पर ही अमेरिकी सरकार ने अपनी कोरोना नीतियां तय की थीं.
तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हालांकि संक्रमण के मामले बढ़ने पर उनपर गुस्सा जताते हुए टास्क फोर्स से हटाने की बात की थी लेकिन मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन ने डॉ फाउची पर यकीन जताते हुए उन्हें कोरोना से जुड़े नियम बनाने को कहा. अब वे इसी नियम की रिव्यू करके बदलाव करेंगे. इसमें सबसे बड़ा बदलाव 6 फुट की दूरी पर हो सकता है.
फिलहाल फेडरल नियमों के मुताबिक स्कूलों में इतनी दूरी अनिवार्य है और इसी शर्त का पालन कर सकने वाले स्कूल खोले जा रहे हैं. बाकी सारे स्कूल ऑनलाइन चल रहे हैं.
हालांकि पेरेंट्स लगातार इसपर शिकायत दर्ज कराते हुए स्कूल खोलने की मांग कर रहे हैं. यही देखते हुए डॉ फाउची 6 फुट के नियम को बदलकर 3 फुट की फिजिकल डिस्टेंसिंग की बात कर रहे हैं.
मुद्दा असल में ये है कि सारे स्कूलों का कैंपस इतना लंबा-चौड़ा नहीं कि वहां बच्चे और स्कूल स्टाफ इतनी दूरी का पालन कर सके. इसके कारण स्कूल बंद हैं.
वहीं मेसाच्युसेट्स प्रांत में सरकार की इजाजत से ही एक तरह से प्रयोग के तहत स्कूलों में दो डेस्क से बीच 3 फुट की दूरी रखी गई. अमेरिकी सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने लगातार प्रांत के ऐसे स्कूलों पर नजर रखी और पाया कि 6 फुट या 3 फुट की दूरी से कोरोना संक्रमण पर कोई खास फर्क नहीं दिख रहा है. इससे ये नतीजे निकलते दिख रहे हैं कि स्कूलों में 3 फुट की दूरी रखते हुए बच्चों को लाया जा सकता है.
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (AAP) ने भी इतनी ही दूरी रखते हुए स्कूल खोलने की बात की है. AAP कोरोना के चरम के दौर में भी स्कूल खोले रखे जाने की बात करता रहा था. उसका तर्क था कि स्कूल बंद होने और घरों में रहने से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर खराब असर होगा.
ये असर उससे कहीं ज्यादा होगा, जो कोरोना संक्रमण से होता है. यही तर्क देते हुए अमेरिकी पेरेंट्स भी स्कूल खुल रखने की बात करते रहे. इस बीच बता दें कि साल 2020 में तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप ने भी 6 फुट की दूरी को काफी खर्चीला और बेकार बताते हुए स्कूलों को खोले जाने की बात की थी. साथ ही स्कूल एसोसिएशन को धमकाते हुए उन्होंने ये तक कह दिया था कि स्कूल बंद रहने पर उनकी फेडरल फंडिंग रोक दी जाएगी.