(www.arya-tv.com)फ्रांस और ब्रिटेन समेत दुनिया के कई देश विदेशी डिजिटल सर्विस प्रोवाइडरों से डिजिटल सर्विस टैक्स (DST) वसूलते हैं। भारत ने भी विदेशी कंपनियों पर DST लगाना शुरू कर दिया है। अरबों डॉलर का कारोबार कर रहीं ये कंपनियां सारा मुनाफा अपने देश ले जा रही थीं। हालांकि, भारत की DST की पहल से अमेरिका बौखला गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन इसे अपने हितों के खिलाफ और पक्षपातपूर्ण बता रहा है।
ब्राजील और यूरोपीय संघ भी DST की तैयारी में
इससे निपटने के लिए अमेरिकी कांग्रेस ने DST पर बहस और फिर उसे कानून के रूप में तब्दील करने के लिए एक शोध रिपोर्ट तैयार की है। कांग्रेस रिसर्च सर्विस की रिपोर्ट यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (USTR) ने दुनिया के कुछ देशों में लगाए गए DST की जांच की। इसमें पता चला कि भारत के अलावा फ्रांस, इंडोनेशिया, इटली, स्पेन, तुर्की और ब्रिटेन समेत कई देश हैं जो DST लेते हैं। ब्राजील, चेक गणराज्य और यूरोपीय संघ इस टैक्स की पहल करने वाले हैं।
DST के खिलाफ तीन आरोप सामने आए
रिपोर्ट में DST के खिलाफ तीन आरोप सामने आए हैं। पहला- यह व्यवस्था अमेरिकी डिजिटल कंपनियों के खिलाफ भेदभाव करती है। दूसरा- अंतरराष्ट्रीय कराधान के सिद्धांतों के खिलाफ है। तीसरा- अमेरिकी वाणिज्यिक हितों पर बोझ डालती है। अमेरिकी जांच एवं शोध रिपोर्ट के ये निष्कर्ष डिजिटल टैक्स व्यवस्था कायम करने को लेकर चल रही वार्ता को देखते हुए मायने रखते हैं। यह वार्ता 130 देशों के बीच हो रही है।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर सिर्फ 2% ही DST लगा
भारत ने गैर भारतीय डिजिटल बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर सिर्फ 2% DST लगाया है। यह टैक्स उन कंपनियों पर लागू होगा, जिनका वार्षिक रेवेन्यू 2 करोड़ रुपए से अधिक है। जबकि इंडोनेशिया डिजिटल प्रोडक्ट्स एवं सेवाओं पर 10% डीएसटी वसूलता है। इटली 3%, स्पेन 3% और ब्रिटेन 2% DST वसूलता है।
दूसरी ओर, भारत में देसी सोशल मीडिया ऐप्स तेजी से कदम बढ़ा रही हैं। ट्विटर के जवाब में कू, वॉट्सएप के जवाब में संदेश, गूगल मैप के जवाब में मैप माई इंडिया मूव ने तेज प्रगति की है।