सिक्ख्नी हूँ मैं

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(AryaTv News Lucknow)

stuti tiwari

“ओ जी ! ये क्या हो गया ? देखो टी वी पर ये क्या खबर आ रही है ? आतंकियों ने बम्ब धमाका कर दिया .” पत्नी ने ड्यूटी के लिए तैयार होते पति से कहा .

“ये सब तो होगा ही . अपने ही आस्तीन में साँप जो हैं . किसी की क्या मजाल जो कोई बाहर से आकर धमाका  कर दे, पर इस मुल्क के कुछ लोगों कि रगों में नमकहरामी भरी हुई है .”

“अजी ! कुछ भी हो , आज आप न जाओ . छोड़ दो नौकरी . हम कनाडा चले जायेंगे . ज़िंदा रहेंगे तो हो जायेगी तुम्हारी देश सेवा भी . आज जाने नहीं दूँगी आपको .” पत्नी बोली .

“दिलराज कौर ! हर औरत यही चाहती है कि उसका घर , घरवाला और बच्चे सलामत रहें मगर उन्हें दूसरों की चिन्ता भी होती है  क्या ? हमारा घर और मुल्क तब सुरक्षित होगा जब हम दूसरे का घर बचायेंगे . पापा जी ने भी अपनी जान दी  थी सरहद पे , अब मेरा वक्त है . मैं पीछे नहीं हट सकता . तुम्हें मेरा साथ देना ही होगा .”

“नहीं होगा मुझसे , मैं बच्चों को ले के जा रही हूँ कनाडा अपने भाई के पास . तुम्हारा जो मन करे सो करो . मर जाओगे तो सरकार दे देगी पाँच लाख रुपये और बन्दूकों की सलामी . ऊपर से देखते रहना तुम.” दिलराज गुस्से से बोली.

“वाह ! ये सोच ही तो मार रही है इस देश को . लोग समझते हैं पुलिस और सेना की सौ-सौ आँखें हैं. हम लोहे के बने हैं . हमारा घर, परिवार बच्चे कुछ भी नहीं है . कोई फ़ायदा नहीं ऐसे लोगों के लिए मरने का, हमें  लगता है कि हम कायरों के लिए मर रहे हैं . कायरों को खत्म हो ही जाना चाहिए.”

“हाँ, मैं माँ हूँ कायर हूँ . उन्हें बचाना मेरा धर्म है .”

“ख़ूब कहा ….ये सूबेदार रंजीतसिंह की बेटी और उजागर सिंह की बहू कह रही है .मैंने शेरनी से शादी की थी….पर मैं गलत  था शायद . कुछ भी हो जाए …मैं लडूंगा अपने देश के लिए ….इस जमीन से हर गद्दार को खत्म करना है हमें.”

“हा हा हा …सरदार जी ! मैं आपको आपका फ़र्ज़ याद दिला रही थी , अब ये पीना छोड़ो और दुश्मनों को ढूंढकर लहू पियो उनका . जो मैंने कहा है वो हर माँ की आवाज है . तुम अपनी ड्यूटी करो मैं लोगों को जगाती हूँ …सरदार जी ये सरदारनी आपके साथ है …मरते दम तक …सिक्ख्नी हूँ मैं.”