गोरखपुर (www.arya-tv.com) धूल-मिट्टी के गुबार के बीच दुख से भरे लोग, मिट्टी के टीलों पर बैठने की जगह की तलाश में इधर-उधर समय काटने के दिन अब बीत चुके हैं। जिस श्मसान को दुख के समय में कुछ देर का साथी माना जाता था, अब वह पर्यटक स्थल बन चुका है। दुख से भरे मन लिए लोग आएंगे जरूर लेकिन अपने स्वजन को भव्य माहौल में आखिरी विदाई देकर संतोष का भाव चेहरे पर दिखेगा।
राप्ती नदी में बारिश के दिनों में पानी बढऩे पर स्वजन को आखिरी विदाई देने पहुंचे लोग घंटों परेशान रहते थे। कई बार तो दूसरी जगह पर भी जाना पड़ता था। वजह थी कि पुराने पुल के पास जगह काफी कम होना। अब यह समस्या भी गुजरे दिनों की बात हो गई है तीन घाट बन जाने से इस बार से छठ पूजा में भी कोई दिक्कत नहीं होगी। महिलाओं के लिए चेंज रूम बनने से उन्हें शर्मिंदगी भी नहीं झेलनी पड़ेगी। राप्ती की कल-कल की आवाज के बीच शरीर को स्वस्थ रखने का संकल्प लेने वालों को तीनों घाटों पर खुली हवा मिलेगी। इलाहीबाग से आने वाले नाले का पानी अब पुराने पुल के पास जाने से घाट पर हमेशा पानी साफ रहेगा।
नगर निगम ने यह काम कराया राजघाट पर अन्त्येष्टि स्थल का निर्माण – 1054.63 लाख प्रदूषण मुक्त लकड़ी एवं गैस आधारित शवदाह संयंत्र की स्थापना – 106.3 लाख
सिंचाई विभाग ने यह काम कराया राप्ती नदी के बाएं तट पर महायोगी गुरु गोरक्षनाथ घाट का निर्माण – 2785.71 लाख राप्ती नदी के बाएं तट पर राज घाट का निर्माण – 499 लाख