एयरपोर्ट्स के बाद अब दिल्ली-मुंबई समेत कई रेलवे स्टेशनों पर अडानी की नजर
मुंबई।(www.arya-tv.com) देश में कार और एसयूवी की मांग में काफी तेजी आई है और ऑटो कंपनियों को इस मांग को पूरा करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। करीब 5 लाख कस्टमर्स कई महीनों से गाड़ी की डिलीवरी का इंतजार कर रहे हैं। कुछ अहम इनपुट्स की कमी से ऑटो कंपनियों का प्रोडक्शन प्रभावित हुआ है। स्टील और सेमीकंडक्टर्स की कमी के कारण ऑटो कंपनियों की मुश्किलें बढ़ी हैं। साथ ही कलपुर्जों के आयात के लिए कंटेनर्स भी पर्याप्त संख्या में नहीं हैं।
दिसंबर में डीलरों के पास इनवेंट्री बहुत कम हो गई थी लेकिन अब इसमें कुछ सुधार हुआ है। मगर यह अब भी मांग को पूरा करने के लिए काफी नहीं है। यही वजह है कि कई गाडिय़ों के लिए वेटिंग पीरियड नौ महीने तक चला गया है। महिंद्रा की थार के लिए वेटिंग पीरियड 9 महीने और हुंडई क्रेटा के लिए 7 महीने है। डिलीवरी के ही ग्राहकों को 6 से 8 महीने इंतजार करना पड़ रहा है जबकि के लिए वेटिंग पीरियड 5 महीने है। कई अन्य पॉपुलर मॉडल के लिए यह 2 से 6 महीने है।
किस कंपनी के पास कितनी बुकिंग
जानकारों के मुताबिक देश की सबसे बड़ी ऑटो कंपनी मारुति सुजुकी के पास 2.15 लाख बुकिंग है। इसी तरह हुंडई के पास 1 लाख और किया मोटर्स के पास 75000 यूनिट्स की बुकिंग है। टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा और निसान मोटर के पास भी 30 हजार से 50 हजार का बैकलॉग है। डीलर्स के पास पिछले करीब 6 महीने से एक महीने से भी कम का स्टॉक है। जनवरी के अंत तक इनवेंट्री बढ़कर 1.5 लाख यूनिट पहुंच गई जो 15 दिन की रीटेल सेल के लिए पर्याप्त है। दिसंबर के अंत में डीलर्स के पास 70 हजार यूनिट्स की इनवेंट्री थी। मारुति सुजुकी के दिसंबर के अंत में मात्र 21000 यूनिट्स की इनवेंट्री थी।
देश में पैसेंजर वीकल्स की कुल बिक्री में मारुति सुजुकी की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी है। कंपनी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर शशांक श्रीवास्तव ने ईटी से कहा कि त्योहारी सीजन के बाद भी मांग मजबूत बनी हुई है और उम्मीद है कि इस वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में यह स्थिति बनी रहेगी। हालांकि सभी बुकिंग सेल में कनवर्ट नहीं होती है। कई कस्टमर इंतजार करने के बजाय दूसरी कंपनियों की गाडिय़ां खरीदना पसंद करते हैं जो उन्हें जल्दी डिलीवरी दे दे। औसतन 25 फीसदी बुकिंग कैंसल होती है।