गोरखपुर (www.arya-tv.com) राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। सत्य और अहिंसा के पथ पर चलते हुए उनके कदम बस्ती जिले में भी पड़े थे। बैरिस्टर ठाकुर अंशुमान सिंह बापू को छिपते-छिपाते अपनी गाड़ी से आठ अक्टूबर 1921 को बस्ती लेकर आए थे। सभा स्थल पर दोनो नेताओं को देखते ही नारे लगने लगे। यहां पर एक विशाल सभा हुई।
क्रिमिनल मुकदमों की वकालत में निपुण अंशुमान सिंह इस अंचल के क्रांतिकारियों के लिए स्थानीय न्यायालय से लेकर हाईकोर्ट तक मुकदमे की पैरवी किया करते थे। यही वजह रही कि वह आजादी के दिवानों के बेहद करीब रहे। मूलत:बस्ती जिले के भिरिया ऋतुराज गांव निवासी अंशुमान सिंह बैरिस्टर बनने के बाद जिला मुख्यालय के रोडवेज के निकट अपनी कोठी में रहने लगे। वर्तमान में भी उनके वंशज इस कोठी में रह रहे हैं। जब अंशुमान को पता चला कि बापू गोरखपुर में प्रवास पर हैं। बस्ती और खलीलाबाद में उनकी सभा प्रस्तावित है। लेकिन अंग्रेजों ने उनकी सभा पर प्रतिबंध लगा रखा है तो वह अपनी चार पहिया गाड़ी लेकर गोरखपुर पहुंच गए।
अंग्रेजों को चकमा देकर वह गांधी के साथ ही नेहरू को भी लेकर बस्ती के लिए निकल पड़े। रास्ते में पहले खलीलाबाद सभा स्थल पर ले गए। जहां गाड़ी पर खड़े होकर ही एकत्रित लोगों को बापू ने संबोधित किया। अंग्रेज कुछ समझ पाते इससे पहले अंशुमान वहां से बापू और नेहरू को लेकर निकल लिए। बस्ती के हथियागढ़ में प्रस्तावित सभा स्थल पर लेकर पहुंचे तो गांधी जी को देखते ही नारे लगने लगे। यहां पर एक विशाल सभा हुई। फिर वहां से वह बापू और नेहरू को लेकर रोडवेज के पास वर्ष 1865 में बनी अपनी कोठी पर ले गए। जहां कांग्रेस जिला इकाई के गठन को लेकर महत्वपूर्ण बैठक हुई थी।
यह बात अभी भी अंशुमान के पौत्र स्व.विष्णुपाल सिंह की धर्मपत्नी 80 वर्षीय प्रभा सिंह को याद है। कहती हैं कि जब वह इस घर में आई थीं तब बैरिस्टर साहब हुआ करते थे। उन्हीं के मुख से गांधी जी और नेहरू को अपनी गाड़ी से घर लाने की बात सुनी थी। वह कहते थे अंग्रेजों के डर से कोई भी स्थानीय क्रांतिकारी कांग्रेस पार्टी का जिलाध्यक्ष नहीं बन रहा था। तब बापू और नेहरू जी की संस्तुति पर गोरखपुर के रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी को अध्यक्ष बनाया गया। जिला कांग्रेस कमेटी में बाबू रामशंकर लाल, कृपाशंकर लाल,अंशुमान ङ्क्षसह, उदय शंकर दुबे और अब्दुल हकीम को प्रथम सदस्य बनाए गए थे।
अंशुमान सिंह के प्रपौत्र रजनीश प्रताप सिंह वर्तमान समय में आबकारी निरीक्षक हैं। बताया उनके पर-बाबा वर्ष 1937 में कांग्रेस पार्टी से जिले के विधायक चुने गए थे। लेकिन तब लोकतंत्र का कोई मतलब नहीं था। देश पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं था। 1947 में देश आजाद हुआ और 1952 में पहला विधान सभा का चुनाव हुआ। कांग्रेस पार्टी ने ठाकुर अंशुमान को रामनगर विधानसभा से अपना प्रत्याशी बनाया। वर्तमान में यह रुधौली विधानसभा के नाम से जाना जाता है। अंशुमान यहां से पहले विधायक चुने गए।