लखनऊ (www.arya-tv.com) नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत लविवि और संबद्ध कॉलेजों के विद्यार्थियों को परास्नातक और पीएचडी की तरह स्नातक में भी कुछ समय की संबंधित विषय में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग करनी पड़ेगी। छात्र अगर किसी भाषा के विषय की पढ़ाई कर रहे हैं, तो उनको किसी पब्लिकेशन हाउस में ट्रेनिंग करनी होगी। इसी तरह से जो भी विषय स्नातक में पढ़ रहे होंगे, उनका प्रशिक्षण तय समय के लिए जरूरी हो जाएगा। इस प्रशिक्षण को पूरा करने के बाद ही डिग्री मिल सकेगी।
नई शिक्षा नीति के तहत लविवि की शिक्षण व्यवस्था में बदलाव तेजी से किया जा रहा है। जिसके तहत स्नातक में की गई पढ़ाई के जमीनी उपयोग को लेकर एक से तीन महीने की ट्रेनिंग करवाई जाएगी। जो कि विद्यार्थियों को अलग-अलग संस्थान में करनी होगी। जिसके जरिये उनको जरूरी जानकारियां मिल सकेंगी। ताकि बाद में उनके लिए रोजगार पाना आसान हो जाए।
कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने बताया कि अभी तक प्रोफेशनल कोर्स में इटर्नशिप होती है, जिसमें किसी संस्थान में विद्यार्थी एक से तीन महीने की ट्रेनिंग लेता है। इसके जरिये वह क्षेत्र की मूलभूत जानकारियों को पाता है। इसी तरह से अब हम स्नातक, परास्नातक और पीएचडी में भी ट्रेनिंग करवाएंगे। इतिहास के विद्यार्थियों को एएसआइ, भाषा से जुड़े विद्यार्थियों को किसी प्रकाशन केंद्र और अन्य विषयों को इसी हिसाब से अलग-अलग जगह ट्रेनिंग करनी पड़ेगी।