मोतियाबिंद का प्रत्यारोपण करने वाला चिकित्सक अनुभवी हो, ताकि बरकरार रहे आंखों की रोशनी

Health /Sanitation

 (www.arya-tv.com) मेडिकल साइंस में हो रहे नित नए प्रयोगों से मोतियाबिंद का आपरेशन बहुत सुरक्षित हो गया है। कृत्रिम लेंस का प्रत्यारोपण कर मोतियाबिंद से ग्रसित बुजुर्ग भी युवाओं जैसी साफ व स्पष्ट रोशनी पा सकते हैं। यदि इसका आपरेशन करा रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि प्रत्यारोपण करने वाला चिकित्सक अनुभवी हो तथा आपकी आंख के पर्दे की स्थिति क्या है और किस तरह का लेंस आंखों के लिए उचित रहेगा। आंखों में लेंस प्रत्यारोपण के लिए फेको विधि सबसे अच्छी रहती है। फिर भी आपरेशन के बाद किसी-किसी को साफ न दिखने की शिकायत होती है। इसका प्रमुख कारण सही लेंस का चयन न होना है। मोतियाबिंद के आपरेशन के पूर्व आंख व पर्दे की संपूर्ण जांच से ही पर्दे की सही स्थिति का पता चल पाता है। बायोमेट्री जांच से यह भी पता चल जाता है कि मरीज की आंखों की पावर कितनी है और कौन सा लेंस लगाना उचित रहेगा। इसलिए यदि सर्जरी करा रहे हैं तो जल्दबाजी न करें।

मोतियाबिंद के लक्षण

  • धुंधलेपन के साथ अस्पष्टता
  • दिन में भी आंखों का चौंधियाना
  • बुजुर्गों में निरंतर दृष्टि दोष का बढ़ना
  • रंगों को देखने की क्षमता में परिवर्तन आना

 यदि चिकित्सक आपकी आंखों की सही जांच करके कृत्रिम लेंस प्रत्यारोपित करता है तो निश्चित ही आपरेशन के बाद मरीज को देखने में कोई परेशानी नहीं होगी। प्रत्यारोपण के लिए नवीनतम तकनीक में उच्च क्वालिटी के यूनीफोकल के अलावा मल्टीफोकल व टोरिक लेंस का प्रयोग किया जाता है। क्वालिटी के आधार पर मरीज को भी स्वतंत्रता रहती है कि वह लेंस का चयन अपनी सुविधा अनुसार कर सके। मोतियाबिंद के आपरेशन में एडवांस फेको मशीन से प्रत्यारोपण का विकल्प सबसे बेहतर माना जाता है। इस तकनीक से पर्दे की स्थिति कैसी भी हो, सफल प्रत्यारोपण की पूरी संभावना रहती है। इसलिए सबलबाई और अधिक पके मोतियाबिंद वाली आंख में कृत्रिम लेंस का प्रत्यारोपण चिकित्सक इसी विधि से करते हैं।