(www.arya-tv.com)इतिहास में 24 दिसंबर की तारीख कई मायनों में बेहद खास है। यदि ये कहा जाए कि इस दिन को पूरी दुनिया किसी न किसी तरह से जुड़ी हुई है तो ये भी गलत नहीं होगा। आज हम आपको यहां पर इतिहास की ऐसी घटनाओं के बारे में जानकारी दे रहे हैं जिनका ताल्लुक 24 दिसंबर से ही है। वास्को डी गामा का नाम भला कौन नहीं जानता है।
वास्को डी गामा ने ही 1498 में भारत को तलाशा था और पूरी दुनिया को इसकी जानकारी दी थी। वो एक पुर्तगाली सैनिक था। वो अफ्रीका होते हुए भारत पहुंचा था। वो अपने पूरे जीवन में तीन बार भारत आया। उसने कई लड़ाइयां लड़ी और गोवा में लोगों का धर्मांतरण भी किया। यूरोपीय इतिहास में उसको एक महान खोजी बताया जाता है। 24 दिसंबर 1524 में भारत के कोच्चि में ही उसका निधन भी हुआ था। वास्को के जन्म के बारे में प्रमाणित तथ्य नहीं हैं लेकिन माना जाता है कि उसका जन्म 1460 में पुर्तगाल में हुआ था। वहीं के एवोरा शहर में वास्को द गामा की पढ़ाई भी हुई। वास्को को खगोलशास्त्र का भी ज्ञान था। 8 जुलाई 1497 में वास्को ही पहली समुद्री यात्रा की शुरुआत हुई थी।
मोहम्मद रफी को भारत में भला कौन नहीं जानता है। उन्हें सुरों का सम्राट भी कहा जाता है। दुनिया को बरसों पहले विदा कहने के बावजूद उनकी आवाज का जादूद आज भी कायम है। रफी को बेहद अनुशासित व्यक्ति कहा जाता था। फिल्मों के बीच रहने वाले रफी अक्सर पार्टियों में शिरकत करने से कतराते थे। उनकी दो शादियां हुई थीं। रफी का जन्म 24 दिसंबर 1924 को अविभाजित भारत में पंजाब के कोटला सुल्तान सिंह गांव में हुआ था। देश के विभाजन के दौरान जो दंगे हुए उसमें उनके माता पिता भी मारे गए थे। इसके बाद उनकी पहली पत्नी ने पाकिस्तान जाने का फैसला किया जबकि रफी भारत में ही रुक गए। यहां पर उन्होंने बाद में दूसरी शादी की।
रफी ने उस्ताद बड़े गुलाम अली खां समेत कई आला दर्जे के उस्तादों से संगीत की शिक्षा ली थी। शुरुआत में वो भी गायक केएल सहगल के फैन थे और उनकी तरह गाना पसंद करते थे। बाद में जब उन्होंने फिल्मी दुनिया में कदम रखा तो उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। उन्होंने पहली बार 1944 में पंजाबी फिल्म गुल बलोच में गाने का मौका मिला था। इसके बाद उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो पर गाया और यहीं से उनकी फिल्मी सफर की भी शरुरआत हुई।
24 दिसंबर को 1999 को आतंकियों ने इंडियन एयरलाइंस के विमान IC-814 का अपहरण उस वक्त कर लिया था जब वह काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से नई दिल्ली की उड़ान पर था। इसमें हरकत उल मुजाहिद्दीन के आतंकियों का हाथ था। अपहरण के समय इस विमान में 176 पैसेंजर समेत क्रू के कुल 15 सदस्य भी थे। ये घटना ऐसे समय में हुई थी जब पूरी दुनिया क्रिसमस के जश्न की अंतिम तैयारियों जुटी थी। विमान हाईजैक की खबर ने भारतीयों की खुशियों पर पानी फेर दिया था। देशवासी इन यात्रियों के सकुशल वापस आने का इंतजार कर रहा था।
आतंकी विमान को पहले पाकिस्तान लेकर गए और अंत में इस विमान को कंधार एयरपोर्ट पर उतारा गया था। इस बीच दुबई में आतंकियों ने 27 यात्रियों को उतार दिया था। इन आतंकियों रूपिन कात्याल नाम के एक यात्री की हत्या भी कर दी थी। इसके बाद सरकार ने आतंकियों से बातचीत शुरू की थी। इन आतंकियों की मांग के अनुरूप भारत सरकार को तीन आतंकी रिहा करने पड़े थे। ये सभी आज पाकिस्तान में मौजूद हैं। 31 दिसंबर को इस विमान के अन्य यात्री भारत वापस पहुंचे थे।