वाराणसी (www.arya-tv.com)। आर्थिक अपराध अनुसंधान संस्थान (ईओडब्ल्यू) संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रकाशन घोटाले की जांच अब तक पूरी नहीं कर सकी है। ईओडब्ल्यू बयानों में ही उलझी हुई है। एक पूर्व कुलपति व एक पूर्व वित्त अधिकारी ने अब तक बयान नहीं दिए हैं। पूर्व कुलपति ने तो नोटिस का भी जवाब नहीं दिया है। इसे देखते हुए ईओडब्ल्यू सीधे संपर्क करने का निर्णय लिया है।
शासन ने दुर्लभ पांडुलिपियों के प्रकाशन के लिए विश्वविद्यालय को लगभग वर्ष 2001 से 2010 के बीच 10 करोड़ 20 लाख 22 हजार रुपये का भुगतान किया था। आरोप है कि ग्रंथों के प्रकाशन के बगैर फर्जी तरीके से छह करोड़ 53 लाख 23 हजार 763 रुपये का भुगतान ङ्क्षप्रटर्स को कर दिया गया है। इसके लिए तत्कालीन कुलपति प्रो.वी.कुटुंब शास्त्री के हस्ताक्षर के फर्जी मुहर का इस्तेमाल किया गया। बगैर कुलपति के हस्ताक्षर के करोड़ों रुपये को भुगतान को लेकर ईओडब्ल्यू तत्कालीन कुलपति, वित्त अधिकारी, लेखा विभाग के 15 कर्मचारियों को नोटिस दिया था।
सभी कर्मचारियों ने ईओडब्ल्यू को बयान दे दिया है। ईओडब्ल्यू के इंस्पेक्टर विश्वजीत प्रताप ङ्क्षसह ने बताया कि बगैर ग्रंथों के प्रकाशन के करोड़ों रुपये के घोटाले की जांच लगभग पूरी हो गई है। वहीं जिस फर्जी मुहर के आधार पर भुगतान किया गया। उसकी गुत्थी अब भी नहीं सुलझ पाई है। बयान में सभी कर्मचारियों ने अपना-अपना पल्ला झाड़ लिया है। अब पूर्व कुलपति प्रो.वी.कुटुंब शास्त्री के बयान का इंतजार है। उनके बयान के आधार पर आगे की कोई कार्रवाई की जाएगी।