मंत्री संदीप सिंह से छात्रों की गुहार! डी.फार्मा का परीक्षा फार्म भरवायें नहीं तो भविष्य खतरे में

# ## Lucknow UP

  • मुख्यमंत्री की साख को बट्टा लगाने में लगे BOARD OF TECHNICAL EDUCATION BOARD OF TECHNICAL EDUCATION U P के नटवरलाल
  • उच्च अधिकारियों के मौन के चलते हजारों छात्रों का भविष्य संकट में
  • कोरोना काल में भी सिर्फ बार परीक्षा के फार्म भरने का मौका मिला
  • परिषद में भ्रष्टाचार के चलते एस.राधा चौहान ने दिखाया था दो अधिकारियों को बाहर का रास्ता

(www.arya-tv.com) मामला परीक्षा से जुड़ा हैं जिसके चलते छात्रों को अपने भविष्य का डर सताने लगा है। बात उस समय की है जब सितम्बर में डी.फार्मा के प्रथम वर्ष के छात्र—छात्राओं का नामांकन तो है परीक्षा फार्म के नाम परिषद के अधिकारियों और कर्मचारियों ने लूट की एक योजना तैयार कर ली। कोरोना काल में सबको पता था कि मात्र तीन दिन में प्रदेश के सैकड़ों छात्र अपनी परीक्षा फार्म नहीं भर पायेंगे। बस इसी कमी का फायदा उठाते हुए प्राविधिक शिक्षा परिषद के कुछ  नटवरलाल अधिकारियेां और कर्मचारियों में अच्छा सौदा करने की योजना बना ली। बिना यह सोचे के अगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को यह मामला पता लगा तो उनकी नौकरी जा सकती है। इन नटवरलालों के हौसले इसलिए बुलंद हैं कि इनको रोकने वाले भी इसी में डूबते नजर आ रहे हैं। उनको अपने पैसेे कमाने की चिंता तो है पर छात्रों के भविष्य से कोई भी मतलब नहीं है। प्रदेश में सैकड़ों छात्र बस इसी बात की राह देख रहे हैं कि कब उनका रिजल्ट घोषित होगा पर सच्चाई तो यह है जब छात्रों का परीक्षा फार्म ही नहीं खोला गया तो रिजल्ट क्या निकलेगा। 

  • मंत्री संदीप सिंह से छात्रों की गुहार! डी.फार्मा का परीक्षा फार्म भरवायें नहीं तो भविष्य खतरे में

उ.प्र.के प्राविधिक शिक्षा परिषद के मंत्री संदीप सिंह से प्रदेश भर के उन बच्चों ने गुहार लगायी है जिनका कोरोना काल में परीक्षा फार्म नहीं भरा गया है। ऐसे बच्चों ने कई बार परिषद में बैठे अधिकारियों से गुहार लगायी पर अब उनकी सुनी नहीं जा रही है। महीना दिसम्बर का आ गया है। सबके रिजल्ट घोषित हो गये हैं। अगले सेमेस्टर की पढ़ाई भी चालू हो गयी है। ऐसे में बच्चों को लग रहा है कहीं अधिकारियों के चलते इनका भविष्य घतरे में न पड़ जाये। अब देखना है कि मंत्री जी इस मामले में क्या निर्णय लेते हैं। हालांकि प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों ने इस मामले में बच्चों के भविष्य को देखते हुए सामूहिक रूप से परीक्षा फार्म खोल कर उनको मौका दिया है। पर प्राविधिक शिक्षा परिषद ने अभी तक बच्चों को सिर्फ गुमराह ही किया है। कोरोना के चलते जहां जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। वहीं अधिकारियों को यह बात नहीं समझ में आ रही है कि बच्चों के साथ ऐसा खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है।

  • अपर मुख्य सचिव को नहीं पता लगने देते सही जानकारी

पिछले माह जब अपर मुख्य सचिव ने सख्ती दिखाते हुए दो अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाया था,उसके बाद से ही बीईटी में प्रभावी अधिकारी अपर मुख्य सचिव को सही बातों से अवगत नहीं करा रहे हैं। पर सच्चाई तो यह है कि सितम्बर के बाद जब दुबारा फार्म खोला गया तो उसमें सिर्फ नम्बर भरने का आप्सन ही आ रहा था। ऐसी स्थिति में जब बच्चों का परीक्षा फार्म ही नहीं भरा गया तो नम्बर कैसे भरे जा सकते हैं। उसी समय जब बीईटी में सेंटर बनाने के नाम से जुड़ा आडियो वायरल हुआ तो सब चैकन्ने हो गये। सारे अधिकारी अपने आप को सही साबित करने में लग गये। ऐसे स्थिति में किसी ने यह भी नहीं बताना उचित समझा कि कोरोना काल में जिन बच्चों का परीक्षा फार्म नहीं भरा गया है। उनका क्या होगा। अब इस मामले में ईमानदार मंत्री संदीप सिंह की बहुत ही बड़ी भूमिका सबको नजर आ रही है। क्योंकि शासन में बैठे अधिकारियों से तो कोई जल्दी मिल भी नहीं सकता । जब तक सच्चाई सबके सामने नहीं आती तब तक मंत्री जी क्या कर सकते हैं। पर बच्चों को माननीय मंत्री से बहुत ही आशा है कि इस मामले में सामूहिक निर्णय लेते हुए कोई आदेश जरूर देंगे।

  • शासन की शीर्ष प्राथमिका के पत्र में एक माह बाद भी कोई परिणाम नहीं पाये यूपी के 4 संयुक्त निदेशक

यह जानकार कर हैरानी होगी कि शासन के कहने पर जो पत्र ईमेल के माध्यम से तुरंत ही सारे विद्यालयों को भेज दिया जाना था। उस पत्र को योग्य अधिकारियों द्वारा धीरे गति से चलने की सलाह दी गयी। कई दिन बीतने के बाद भी प्रदेश के चारों जोनों के संयुक्त निदेशकों ने इस पत्र को गति नहीं दी। इन लोगों ने यह भी नहीं सोचा कि कोरोना काल में जहां हमारे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दिन रात आम जनता के लिए सोचते हैं तो हमारा भी देश के बच्चों के प्रति कर्तव्य है। बिना डरे हुए इस मामले में शासन को लगातार गुमराह किया गया और वर्तमान में विशेष सचिव और परिषद के सचिव को भ्रमित किया गया। जिससे कि उनको विश्वास में लेकर आसानी से खेल किया जा सके। ये तो भला हो विशेष सचिव/सचिव का जो इन लोगों की बातों में नहीं आये और त्वरित कार्यवाही हेतु सारे विद्यालयों को पत्र और ईमेल से संपर्क करने की सलाह दी। ऐसे में यह पूरी तरह से साबित होता है कि परिषद को बच्चों के भविष्य से कोई भी मतलब नहीं है जाहे उनका रिजल्ट निकले या न निकले।

  • आदेश में झूठी बातों को बताया

12 नवग्बर को जो आदेश जारी किया गया था। उसमें पुनः लिंक खोलने को लेकर जो बात लिखी गयी है वह पूरी तरह से निराधार है। लिंक तो खोला गया था पर परीक्षा फार्म का नहीं खोला गया था। उसमें सिर्फ नग्बर भरने का ही विकल्प था। इससे नियत साफ हो जाती है कि शासन के विशेष सचिव/बोर्ड के सचिव को इसमें भी गुमराह करने का काम किया।

  • कोरोना में सभी विवि और बोर्डों ने पुनः कई बार फार्म भरने के मौके दिये सिर्फ बीईटी ने कोई मौका नहीं दिया

कोरोना काल में देश की विषय स्थिति में जहां आम जनता ने तो सरकार का साथ दिया पर वहीं भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले लोगों ने इस मौके को अवसर में बदलना उचित समझा। जब देश में सभी विवि और बोर्डों ने विद्यार्थियों को परीक्षा फार्म भरने का मौका दिया तो इस बीईटी ने ऐसा क्योें नहीं किया। इस मामले की जांच होनी चाहिए और जिम्मेदारों कर कार्यवाही होनी चाहिए।