भोपाल।(www.arya-tv.com) श्यामला हिल्स की नादिर कॉलोनी में अस्सी साल के उद्योगपति ने गत दिवस आत्महत्या से पूर्व एक सुसाइड नोट लिखा था। सुसाइड नोट में उन्होंने परिवार के सभी लोगों का नाम लिखकर सेवा भावना के लिए धन्यवाद दिया और परिवार के लोगोंको कहा कि फैक्ट्री के वर्करों का ध्यान देना। सुसाइड नोट लिखते समय उनका नौकर चाय-नाश्ता लेकर पहुंचा था, लेकिन उन्होंने उसे बाद में आने को कह दिया। कुछ ही देर बाद एक धमाके के साथ परिवार में मातम पसर गया।
पुलिस और एफएसएल की टीम ने मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया और शव पीएम के लिए भेज दिया। परिजन ने बताया कि आरके दुबे अपना काम स्वयं ही करना पसंद करते थे। गत दिनों जब उन्हें पैनिक अटैक आया तो वह टूट गए। अस्पताल से घर लौटने के बाद ही उदास रहने लगे थे। परिवार ने घर पर भी उनके लिए क्लीनिक सुविधा उपलब्ध करा दी थी। गत दिवस करीब आठ बजे वह अपने कमरे में थे जिस समय नौकर चाय-नाश्ता लेकर पहुंचा।
वह कुर्सी पर बैठकर सुसाइड नोट लिख रहे थे। इस बात से अंजान नौकर मालिक के कहने पर कमरे में चला गया। पुलिस और एफएसएल की टीम ने निरीक्षण किया था। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई कि अस्सी साल के आरके दुबे ने 12 बोर की बंदूक को गले पास रखा।
गन प्वाइंट पर गर्दन को लेने के बाद पैर से ट्रिगर दबा दिया। कुछ ही पल में गोली चलते ही उनका जबड़ा बुरी तरह से जख्मी हुआ और वह कुर्सी से नीचे गिर गए। पुलिस को मिले सुसाइड नोट में आरके दुबे परिवार के प्रत्येक सदस्य का नाम लिखा था।
उन्होंने परिवार के सदस्यों को सेवा भावना के लिए धन्यवाद लिखा। वह कितने मिलनसार व्यक्ति थे इस बात का अनुमान कुछ इस तरह भी लगाया जा सकता है कि उन्होंने सुसाइड नोट में फै क्ट्री क वर्करों का नाम लिखते हुए उनका ध्यान देने की बात लिखी।
उन्होंने लिखा कि अब दर्द सहन नहीं होता, इसलिए यह कदम उठा रहा हूँ। इसमें परिवार और अन्य व्यक्ति का कोई भी कसूर नहीं है। मेरी मौत के बाद किसी को परेशान नहीं किया जाए। परिवार के मुखिया आरक दुबे इंडस्ट्रियल क्षेत्र में किलपेस्ट इंडिया लिमिटेड नाम से फैक्ट्री का संचालन करते थे। वे फैक्ट्री के चेयरमेन थे, उनके दोनों बेटों को उन्होंने डायरेक्टर बना रखा था। उनकी फैक्ट्री मं खेतों और घरों में इस्तेमाल होने वाला कीटनाशक बनाया जाता था। इस उम्र में भी आरके दुबे अक्सर फैक्ट्री चले जाते थे और कुछ समय बिताने के बाद घर लौट आते थे।