(www.arya-tv.com)हिंदी के यशस्वी कवि कुमार विश्वास ने हाथरस रेप केस में अपनी पीड़ा व्यक्त की है। अपने यूट्यूब चैनल पर कुमार ने लगातार 19 मिनट तक इस विषय पर अपनी बात रखी। उन्होंने इसे महाभारत की कथा और भारत की वर्तमान स्थिति से जोड़ा और नेताओं को जमकर कोसा। कुमार ने सवाल उठाए कि इतना बड़ा हादसा होने के बाद भी लोग सवाल क्यों नहीं उठा रहे?
बकौल कुमार –
इस वीडियो में मैं थोड़ा ज्यादा गुस्से में आ गया, एक दो बार गला भी भर आया है😢! पर आप सब मेरे चाहने वालों से, साहित्य से, भाषा से, उसकी मर्यादा से मैं माफ़ी नहीं मांगना चाहता ! यह जनबोधी कविता, यह ग़ुस्सा मेरे वंश की परम्परा है ! जिन्हें बुरा लगा हो वे मुझे गरियाने के लिए स्वतंत्र हैं 😢🙏 ।
उपनिषद भी कहता है कि कूपमंडूक की तरह अब भी अगर हम इस अंधियारी कोठरी से बाहर नहीं निकले तो धीरे-धीरे इस अनाचारी असुर लोक के ऐसे अंधकार में प्रवेश कर जाएंगे जो स्वयं हमारे विनाश का कारण बनेगा 👎। “असूर्य नाम ते लोकाः अंधे तमसावृताः।।”
उन्नीस सौ बासठ की चीन से लड़ाई के वक्त अपनी जरूरी जिम्मेदारी से बेखबर अपनी ही सरकार से अपनी कविता “परशुराम की प्रतीक्षा” में जब राष्ट्रकवि दिनकर जी ने सवाल पूछा था तो एक पंक्ति लिख दी थी, “छागियो करो अभ्यास रक्त पीने का !”
अपनी डायरी में दिनकर जी ने लिखा है कि मुझे एक शालीन कवि होने के नाते रक्त पीने जैसी बात शायद नहीं लिखनी चाहिए थी पर मैंने इसलिए लिख दी है ताकि आने वाले कल में इतिहास याद रखें कि जब सब सरकारी सरोकारी लोग मौन थे तो इस देश के एक कवि को इतना गुस्सा आया था कि उसने रक्त पी जाने जैसी कामना कर डाली थी !
🇮🇳😢 “कब तक मौन रहोगे विदुरों? कब अपने लब खोलोगे ? जब सर ही कट जायेगा तो किस मुंह से क्या बोलोगे..?”
