बाबरी एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी बोले- हम कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं, सीबीआई से अपील करेंगे

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  • बाबरी विध्वंस केस में आडवाणी, जोशी, उमा भारती समेत 48 लोगों के खिलाफ एफआईआर हुई थी, इनमें से 16 का निधन हो चुका है
  • 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में केस दर्ज हुए थे, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशन में सीबीआई विशेष कोर्ट में चल रही थी सुनवाई
  • 1993 में हाईकोर्ट के आदेश पर लखनऊ में बनी विशेष अदालत, 994 गवाहों की लिस्ट थी

(www.arya-tv.com)28 साल बाद सीबीआई की लखनऊ विशेष अदालत ने आज बाबरी विध्वंस मामले में सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया। इस मामले में बाबरी एक्शन कमेटी के संयोजक और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी की प्रतिक्रिया आई है। दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने कहा कि वे कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। हम हाईकोर्ट जाएंगे। हम सीबीआई से भी अपील करेंगे, हम अकेले भी कोर्ट जा सकते हैं क्योंकि हम पीड़ित हैं।

हमारे पास ऑप्शन मौजूद

जिलानी ने बातचीत में कहा कि हमारे पास ऑप्शन है। राम मंदिर का फैसला हम देख चुके हैं और बाबरी केस का फैसला भी देख लिया। दोनों से हम संतुष्ट नहीं हैं। अभी तक हम फैसले का इंतजार कर रहे थे। जफरयाब जिलानी कहते हैं कि जो भी पक्ष संतुष्ट नहीं है, वह हाईकोर्ट का रुख करेगा।

अदालती प्रक्रिया में शामिल होना चाहते थे, लेकिन कोर्ट ने अनुमति नहीं दी

जफरयाब जिलानी ने बताया कि 21 अगस्त को हमारी तरफ से वकील ने केस में इंटरवीन कर एप्लिकेशन कोर्ट में डाली, लेकिन वह एप्लिकेशन 25 अगस्त को कोर्ट ने यह कहकर खारिज कर दी कि हम लगभग सुनवाई पूरी कर चुके हैं। ऐसे में हम कोई नया पक्ष नही सुन पाएंगे। चूंकि केस स्टेट वर्सेस पवन पांडेय चल रहा है। तो हम केस में केवल सीबीआई के वकील को असिस्टेंस ही देते। बहरहाल, अब हम फैसले का इंतजार कर रहे हैं।

जरूरत पड़ी तो मथुरा केस में भी इंटरवीन करेंगे

जिलानी कहते हैं कि नवम्बर 2019 में जब राममंदिर का फैसला आया तो उसके बाद बाबरी एक्शन कमेटी की बैठक हुई। उसमें तय हुआ कि बाबरी एक्शन कमेटी को भंग नहीं किया जाएगा, बल्कि और कहीं इस तरह का मामला उठता है तो हम उसे प्रोटेक्ट करेंगे। उन्होंने बताया कि मथुरा केस में याचिका दायर हुई है। हम अभी उसे देख रहे हैं। अगर वहां 6 दिसंबर 1992 जैसी कोई घटना होने का अंदेशा होता है तो हम हस्तक्षेप करेंगे।

2022 चुनाव की तैयारी है मथुरा मामला

जिलानी कहते हैं कि अभी जो मथुरा जन्मभूमि का मामला उछला है, वह बहुत सोच समझ कर उछाला गया है। सामने 2022 का इलेक्शन है। ऐसे में राजनीति के लिए कुछ तो चाहिए। उन्होंने बताया कि कांग्रेस ने अयोध्या में ताला खुलवाया, लेकिन तोड़ा तो नहीं। 1989 में भाजपा आई है और 1992 में मस्जिद तोड़ दी गई। ऐसे में भाजपा और आरएसएस क्या कर दे, कुछ पता नहीं।

क्या है बाबरी एक्शन कमेटी?

4 जनवरी 1986 को बाबरी एक्शन कमेटी का गठन 200 लोगों की मौजूदगी में हुआ, तब जफरयाब जिलानी और आजम खां इसके संयोजक बनाए गए। साथ ही मौलाना मुजफ्फर हुसैन को अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद बाबरी विध्वंस मामले को लेकर कमेटी हिंदू संगठनों के प्रति अपना विरोध भी दर्ज कराने लगी। इसके बाद 1994 से 2019 तक राममंदिर केस को हाईकोर्ट से ले सुप्रीमकोर्ट तक बखूबी लड़ा।