- विदेश मंत्रालय ने कहा- 1959 में चीन ने एकतरफा तरीके से एलएसी तय की और हमने इसे कभी नहीं माना है
- 2003 तक तो चीन दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का हल ढूंढने में साथ देता रहा, पर इसके बाद दिलचस्पी नहीं दिखाई- विदेश मंत्रालय
(www.arya-tv.com)भारत ने मंगलवार को साफ शब्दों में चीन से कह दिया है कि उसने कभी भी 1959 में चीन की ओर से एकतरफा तरीके से तय की गई एलएसी को नहीं माना है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह बात एक मीडिया रिपोर्ट पर पूछे गए सवाल पर कही। इस रिपोर्ट में चीन के विदेश मंत्रालय के हवाले से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन की स्थिति बताई गई थी।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि एलएसी पर हमारी पोजिशन लंबे समय से वही रही है और यह चीन को भी मालूम है।
1993 में एलएसी पर शांति बनाए रखने का समझौता हुआ था
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा- 1993 में एलएसी पर शांति और यथास्थिति बनाए रखने का समझौता हुआ था। 1996 में दोनों देशों के बीच युद्ध क्षेत्र में विश्वास बढ़ाने का समझौता हुआ, 2005 में राजनीतिक पैमानों और भारत-चीन के बीच सीमा के मुद्दे को सुलझाने के लिए दिशा-निर्देश तय करने का समझौता हुआ था। इन समझौतों में दोनों देश एलएसी के साझा स्वरूप पर सहमति बनाने के लिए राजी हुए थे।
चीन एलएसी को बदलना चाहता है- विदेश मंत्रालय
श्रीवास्तव ने कहा कि वास्तव में 2003 तक दोनों देशों के बीच एलएसी तय करने के लिए साझा प्रक्रिया चली। लेकिन, इसके बाद यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई, क्योंकि चीन ने इसे आगे बढ़ाने में कोई दिलचस्पी नहीं ली। अब चीन यह कह रहा है कि केवल एक ही एलएसी है और यह पहले किए गए समझौतों का उल्लंघन है। दूसरी ओर भारत ने हमेशा ही इन समझौतों का सम्मान किया और एलएसी का पालन किया।
श्रीवास्तव ने कहा कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी संसद में कहा था कि यह चीन है जो कई जगहों पर एलएसी को बदलना चाहता है और एकतरफा तरीके से यथास्थिति को बदलना चाह रहा है।
