COVID 19 pandemic: क्वारंटीन के बाद भी जरूरी है एहतियात

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(www.arya-tv.com)कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। भारत में भी कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं। लोगों के मन में रोज नए-नए सवाल उठ रहे हैं। यहां हम विश्व स्वास्थ्य संगठन, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और विशेषज्ञों की ओर दी जा रही कोरोना से जुड़ी जानकारियों को आप तक पहुंचाएंगे।

कोरोना-वायरस फेफड़ों में पहुंच कर गंभीर समस्या कैसे उत्पन्न करता है?

फेफड़ों से ऑक्सीजन-युक्त हवा सूक्ष्म अंगूरनुमा संरचनाओं में पहुंचती है, जिन्हें एल्वियोलाई कहते हैं। इनकी दीवारें बहुत पतली होती हैं। इनसे सूक्ष्म रक्तवाहिनियों का एक जाल चिपका होता है, जिन्हें कैपिलरी कहा जाता है। यही फेफड़ों की भीतरी संरचना है। कोरोना-विषाणु के संक्रमण के बाद एल्वियोलाई और कैपिलरियों की दीवारें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।  क्षति से उनमें तरल भरने लगता है। उसके बाद पतली दीवारों से हवा का आना-जाना मुश्किल हो जाता है। इससे मरीज की सांस फूलने लगती है और हालत बिगड़ने लगती है।

बुजुर्गों को रिश्तेदारी या परिचितों में से किसी के अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहिए?
यूं ऐसे जवाब हमेशा मुश्किल ही होते हैं, पर विशेषज्ञ बुजुर्गों के लिए फिलहाल किसी भी तरह से बाहर न निकलने की सलाह दे रहे हैं। हो सकता है कि कुछ बुजुर्ग स्वस्थ हों, पर बड़ी उम्र में संक्रमण से प्रभावित होने का खतरा ज्यादा होता है। भीड़ में किसी के भी संक्रमित होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। खुद को बचाए रख कर ही आप कुछ अपनों को बचा सकते हैं। कई मामले ऐसे सामने आए हैं, जहां लोगों में किसी तरह के लक्षण नहीं थे, पर वे बाद में संक्रमित पाए गए और उन्होंने दूसरों को भी संक्रमित कर दिया।

बुखार, खांसी के बाद मैंने क्वारंटीन किया। क्या अब मैं सामान्य ढंग से जी सकती हूं?
बुखार और खांसी कई प्रकार के संक्रमण व कारणों से हो सकते हैं। सही वजह तो जांच से ही पता चल सकती है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वायरल इन्फेक्शन एक्सपर्ट कैटरीना के अनुसार, चूंकि अब किसी तरह के लक्षण नहीं हैं, ऐसे में अपने मन की सेहत के लिए यही मानकर चलें कि आपको कोरोना वायरस नहीं है। सबकी तरह आप भी शारीरिक और सामाजिक दूरी बना कर रखें। लॉकडाउन का आगे भी पालन करें।