- चारों तरफ पहाड़ियों से घिरे हुए गलता तीर्थं, मूसलाधार बारिश में पत्थर व मिट्टी बहने से ढका
- संपूर्ण उत्तर भारत की प्रथम एवं प्रधान जगदगुरू पीठ है गलता तीर्थ, यहां सम्राट अकबर भी आए थे
- रामानुज संप्रदाय की प्रमुख पीठ में से एक है गलता तीर्थं, यहां देश विदेश के पर्यटक घूमने आते है
(www.arya-tv.com)राजधानी में छह दिन पहले हुई मूसलाधार बारिश ने सन 1981 में आई बाढ़ की यादें ताजा कर दी है। यहां 14 अगस्त को हुई बारिश से हुए नुकसान और तबाही के मंजर अब भी नजर आ रहे है। इंसानों की बस्ती हो या फिर यहां का प्रमुख धार्मिक स्थल गलता तीर्थ, जो कि देशी विदेशी सैलानियों के पर्यटन का स्थल भी है। गलता जी तो रामानुज संप्रदाय की प्रमुख पीठों में से एक है। यहां भगवान श्री राम के परिवार और पहाड़ों में स्वयं प्रकट हनुमान जी तथा शिव परिवार की प्राचीन मूर्तियां भी छह दिन बाद करीब पांच से छह फीट मिट्टी के मलबे में दबी हुई है।
इसी गलता तीर्थं में हुए नुकसान भास्कर संवाददाता ने मौके पर पहुंचकर हालातों का जायजा लिया। ग्रांउड रिपोर्ट पर सबसे पहले गलता पीठ के प्रमुख अवधेशाचार्य महाराज से बातचीत में सामने आया कि 14 अगस्त को आई मूसलाधार बारिश की वजह से यहां काफी नुकसान हो गया है। इससे पहले ऐसा मंजर 40 साल पहले 19 जुलाई 1981 में आई बाढ़ की वजह से देखने को मिला था। महाराज ने बताया कि गलता में 7 कुंड है। इनमें सबसे पहला राजा कुंड पहाड़ियों पर है। यहां मिट्टी के विशाल टीले है। जहां एक केचमेंट एरिया बनाकर क्यारा बांध नाम दिया गया। 14 अगस्त को तेज बारिश की वजह से बांध के ओवर फ्लो होने से मिट्टी के टीलों में कटाव हुआ। बारिश के जल का तेज प्रवाह होने से कई टन मिट्टी बहकर गलता तीर्थ तक पहुंच गई।
करीब चार से पांच फीट ऊंचाई तक बह रहा था पानी
पानी करीब पांच फीट की ऊंचाई तक ओवरफ्लो होकर बहने लगा। इससे यहां सबसे पहले पापड़ा हनुमान मंदिर में पानी घुसा। तब यहां मौजूद पुजारी लोकेश शर्मा ने बताया कि तब बेहद खतरनाक मंजर था। तेज बहाव को देखकर मैं तत्काल भागकर ऋषि गालव मंदिर तक पहुंचा। दोपहर तक बारिश बंद हुई। पानी नीचे उतरा। तब पापड़ा हनुमान मंदिर का मुख्य द्वार नजर नहीं आया। वहां मौजूद स्वंय प्रकट हनुमान जी की करीब पांच फीट ऊंची मूर्ति और श्री राम भगवान परिवार की मूर्तियां मलबे से ढक गई। पुजारी लोकेश का कहना है कि छह दिन बीत जाने पर भी प्रशासन ने कोई राहत कार्य में मदद नहीं की है। इससे वहां मूर्तियां अब भी मलबे में दबी हुई है।
लोकेश ने बताया कि पहली बार ऐसा हुआ कि मंदिर पूरी तरह से मलबे में ढक गया।पीठाधीश्वर अवधेशाचार्य ने बताया कि बारिश से पहाड़ी से इतने पत्थर और मिट्टी बहकर आई कि यहां यज्ञ वेदी कुंड भी पूरी तरह से मिट्टी के मलबे से भर गया है। अब पता ही नहीं चल रहा है कि यहां कुंड भी है। उन्होंने चिंता जताई कि ऋषि पंचमी पर देश विदेश से लोग गलता आकर यज्ञवेदी कुंड पर ऋषियों का तर्पण कर यज्ञ करते है। कुंड में स्नान करते है। अब शायद पहली बार ऐसा नहीं हो सकेगा। अवधेशाचार्य महाराज ने मांग की है कि सरकार और जिला प्रशासन गलता में ध्यान दें और मिट्टी हटवाने का काम करें। साथ ही पहाड़ी पर बने क्यारा कुंड पर दीवार बनवाई जाए। ताकि यहां अब कभी ऐसा मंजर ना हों।