- मुख्यमंत्री जी आखिर कब रूकेगा अधिकारियों का चीरहरण!
(www.arya-tv.com)मुख्यमंत्री जी लखनऊ की जनता आप से ये जानना चाहती है कि कोरोना काल में 24 घण्टे अपनी जान को दांव पर लगाकर शहर को संक्रमण से बचाने वाले विभाग के मुखिया पर फर्जी आरोप लगाने वालों पर कब कार्यवाही होगी?
- डॉ.इन्द्रमणि त्रिपाठी ने जहां भी अपनी सेवाएं दी एक मिशाल के रूप में आजतक याद किये जाते हैं
- भ्रष्टाचार की लाठी से ईमानदारी को हाकने की कोशिश नाकाम, लखनऊ के कुछ पार्षदों ने नहीं दिया मेयर का साथ
- कुछ पार्षदों ने खोला मेयर के खिलाफ मोर्चा
- नगर निगम कर्मचारी संघ से की ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर लिखाने की अपील
1- क्या है पूरा मामला
मार्ग प्रकाश विभाग के ठेकेदार का मामला तो सिर्फ एक नजीर है। इस मामले में ठेकेदार द्वारा बिना कार्य के टेण्डर हुए भुगतान करने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था। वहां से निराश हो जाने पर ठेकेदार द्वारा धन की लालच देकर विभिन्न प्रकार से अधिकारियों,नेताओं से लगातार बेमानी प्रयास किया जा रहा है। क्योंकि सोचने वाली बात है कि नगर निगम में बिना टेण्डर के कैसे कार्य का भुगतान हो सकता है। यह किसी भी प्रकार से संभव नहीं है। दराअसल असली मामला नकली बजट का कार्य कराने और भुगतान करने का है। अभी कुछ दिनों पहले नगर निगम में जो बजट पेश हुआ था वह मेयर की ओर स्वयं बनवाया गया था। इस बजट में खास बात यह थी कि इस बजट में नगर निगम विकास निधि को मेयर कोटा नाम देकर 16 करोड़ का कार्य करवाने की योजना थी। जिसका विरोध नगर निगम प्रशासन द्वारा लगातार किया जा रहा है। साथ ही मेयर द्वारा कुछ चिन्हित ठेकेदारों के भुगतान के लिए लगातार कहा जाता रहा है। जो कि इंद्रमणि त्रिपाठी के हिसाब से सही नहीं है क्योंकि राम राज में यह संभव नहीं है। सरकार सबकी है प्रशासन सबका है।
2—झूठे पत्र को जानबूझ कर वायरल करवाया गया
अब सोचने वाली बात तो यह है कि जिस पत्र पर गोपनीय लिखा हो वह कैसे लीक हो सकता है अर्थात सीधा अर्थ है कि इस पत्र को एक ईमानदार अधिकारी को बदनाम करने के लिए जानबूझ कर लीक कराया गया है। जिससे कि मीडिया के माध्यम से नगर आयुक्त की बदनामी हो और उनको हटाया जा सके। पर भ्रष्टाचारी यह भूल जाते हैं कि मारने वाले से बड़ा बचाने वाला होता है।
3— कुछ पार्षदों ने मेयर का खुलकर विरोध किया
नगर निगम के कुछ ईमानदार पार्षदों ने इस पत्र में लिखी झूठी बातों का पूरी तरह से विरोध किया है। जिसमें साफ कहा गया है कि यह पूरी तरह से नगर निगम को बदनाम कराने की साजिश है इस मामले पर सरकार से षडयंत्रकारी पर कार्यवाही करने की बात कही गयी है।
4—कर्मचारी संघ ने की ठेकेदार पर एफआईआर करने की अपील
नगर निगम कर्मचारी संघ ने सीधे तौर पर अपील की है कि इस तरह से नगर निगम को बदनाम करने वाले ठेकेदार पर सीधे तौर पर एफआईआर लिखनी चाहिए।
5— फर्जी पत्र के लीक होने की जांच हो
आप को याद होगा कोरोना काल में पीपीई किट के दामों पर लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगे थे जिस पर सरकार द्वारा पत्र के लीक होने की जांच की जा रही है उसी तरह से इस पत्र के लीक होने की जांच भी होनी चाहिए कि कैसे एक गोपनीय पत्र लीक होकर मीडिया के सामने पहुंच जाता है और एक ईमानदार अधिकारी को मानसिक तौर पर कष्ट पहुंचाया जाता हैं