- “कर्म की कुशलता ही योग है” प्रो.संजय कुलपति BBAU
- “योगा फॉर बेटर लाइफ” विषय पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया
- मुख्य अतिथि के रूप में गुरुजी के पद नाम से विख्यात योग गुरू डॉ0 एच0 आर0 नागेंद्र जी कुलाधिपति एस व्यासा (s-vyasa) एवं अध्यक्ष, इंडियन योगा एसोसिएशन, उपस्थित रहें
(www.arya-tv.com) BBAU द्वारा “योगा फॉर बेटर लाइफ” विषय पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। यह वेबिनार बीबीएयू और इंडियन योग एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ बीबीएयू के कुलपति आचार्य संजय सिंह के उद्बोधन के साथ हुआ। अपने उद्बोधन में उन्होंने “कर्म की कुशलता ही योग है” को मूल मंत्र बताते हुए कहा कि योग में वायु से भी तीव्र गति वाले मन को नियंत्रित करने की शक्ति होती है। योग चित्त की वृत्तियों का नियमन कर ऊर्जा का संचार करके शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त कर, मानव कल्याण की साधना करता है। उन्होंने योग को व्यष्टि से समष्टि की यात्रा बताते हुए सेवा परमो धर्म: के आदर्श को अपनाने पर बल दिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में गुरुजी के पद नाम से विख्यात योग गुरू डॉ0 एच0 आर0 नागेंद्र कुलाधिपति एस व्यासा (s-vyasa) एवं अध्यक्ष, इंडियन योगा एसोसिएशन, उपस्थित रहें। उन्होंने योग को जीवन जीने की कला बताते हुए बताया कि योग जीवन के सभी पक्षों- धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष में संतुलन बनाकर जीवन को निष्फल होने से बचाता है तथा अर्थ को धर्म के लिए साधक बनाता है, जो हमने समाज से प्राप्त किया है उसे समाज को देना यह सिखाता है। हेल्थ और वेल्थ दोनों के लिए ही योग महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम में योगाचार्य डॉक्टर आनंद बालयोगी, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हीरालाल जी, डायरेक्टर नीलकंठ योग केंद्र भीम सिंह जी, योग प्रशिक्षक एवं सीईओ कैवल्यधाम सुबोध तिवारी जी , हरियाणा योग परिषद के चेयरमैन डॉ जयदीप आर्य जी, इटली से सर्वा योगा की संस्थापिका श्रीमती अंतोनिता रोजी, हार्टफुलनेस की राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर श्रीमती एकता बॉडरलिक के साथ अमेरिका से टीचर ऑफ इंडियन कल्चर एवं योग कंसलटेंट जनरल ऑफ इंडिया डॉक्टर सोमवीर आर्य ने अपने विचार व्यक्त किए ।
डॉ. आनंद बालयोगी ने बताया कि तनाव से हमारा रोग प्रतिरोधी तंत्र कमजोर होता है जो प्राणायाम से स्वस्थ हो जाता है। हीरालाल जी ने योग को जनसामान्य तक पहुंचाने के अपने अनुभवों को साझा किया। सुबोध तिवारी ने योग को स्कूल ऑफ एजुकेशन में शामिल करने के प्रयासों पर प्रकाश डाला। भीम सिंह जी ने योग को अनुशासन बताते हुए संयमित जीवन की महत्ता पर प्रकाश डाला। डॉ. जयदीप आर्य ने योग की पॉलिसी पर प्रकाश डालते हुए गुरु-शिष्य परंपरा से युक्त भारतीय शिक्षा प्रणाली के विकास पर बल दिया। अंतोनिता रोजी ने ‘योग इन वेस्टर्न वर्ल्ड’ पर प्रकाश डालते हुए बताया कि योग भौतिक एवं सामाजिक समस्या का समाधान देता है। एकता बोडरलिक ने योग को कल्चरल हेरिटेज के रूप में स्थापित करने पर बल दिया। डॉक्टर सोमवीर आर्य ने योग को जीवन में उतारने पर बल दिया।