प्रवीण चौधरी/ कौशल किशोर
(Arya Tv Lucknow)
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग उ.प्र. में भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री और उ.प्र. के मुख्यमंत्री के आदेश के बावजूद विभागीय अधिकारी की जांच अभी अंधेरे में ही अटकी है। ज्ञात हो कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग उ.प्र. लखनऊ में तैनात अनिल कुमार यादव राज्य परियोजना समन्वयक नक्षत्रशाला एवं सचिव परषिद और राजेश दीक्षित लेखाकार एवं कार्यालय अधीक्षक द्वारा अपने विभाग में हुई नियुक्तियों , अनियमितताओं की जांच की शिकायतों के बावजूद अपने पद पर बने हुए हैं और किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं हुई है।
जबकि इसके विपरीत भारत सरकार के माननीय मंत्री द्वारा सीधे ही मुख्यमंत्री उ.प्र. को इस संबंध में जांच के लिए अनुरोध किया गया था जिसमें इस विभाग के प्रमुख सचिव ने इस पूरे प्रकरण पर जांच के आदेश पूर्व में ही दिये हैं। तब भी इन लोगों के प्रभाव के चलते आज तक जांच होने के आदेश के बाद भी अपने-अपने पदों पर पूर्व की तरह ही विराजमान है जबकि नियमतः इन लोगों को सबसे पहले जो भी अतिरिक्त चार्ज मिला है उस पद से हटाते हुए जांच की जानी चाहिए थी। परन्तु इन लोगों के प्रभाव के चलते ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है। अब शिकायत कर्ता का कहना है कि अगर यह लोग अपने पद पर बने रहते हैं तो स्वतंत्र जांच संभव नहीं है क्योंकि विभागीय पत्रावलियां भी इन्हीं लोगों के पास ही रहती है। जिसमें जांच के दौरान खेल हो सकता है और सही तथ्य सामने नहीं आयेंगे तो जांच का क्या मतलब है। सूत्र बताते हैं कि इन लोगों ने अपने प्रभाव के दम पर सारे बड़े अधिकारियों को अपने ही पक्ष में उतार लिया है जिसके चलते अभी भी यह लोग विभाग पर पूरी तरह से अपना ही सिक्का जमाये हुए है।
इस मामले में मुख्यमंत्री के आदेश के बाद प्रमुख सचिव ने जांच बैठा दी है पर ऐसा लगता नहीं कि इन लोगों के प्रभाव के चलते स्वतंत्र जांच संभव है।