- प्लाज्मा थेरैपी कितनी कारगर,जाने PGI के Prof. Gyan Chand का नजरिया
(www.arya-tv.com)आज विश्व के कई देशों में कोरोना के मरीजों को ठीक करने के लिए प्लाज्मा थेरैपी का क्लीनिकल ट्रायल किया जा रहा है जिसके नतीज़े भी पॉजिटिव आ रहे है। पर सवाल यह उठता है कि यह किस हद तक कारगर है और क्या यह सही है कि सारे मरीज प्लाज्मा थेरेपी से ठीक हो रहे है। इसी थेरैपी के बारे में सम्पूर्ण शोध जानकारी आर्य टीवी के विशेष संवाददाता विशाल सक्सेना आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं।
इसी बात को लेकर तमाम भ्रंतिया फैली हुई है, इन भ्रंतियो को दूर करने और आप तक सही और अनसुनी जानकारी पहुचाने के लिए आज हमारे साथ जुड़े है, देश के प्रमुख सर्जन Prof. Gyan Chand – MBBS, MS, FICS, FAIS, FUICC, MSASA, PGDHMM. अगर डा.ज्ञान की बात की जाये तो उनका मेडिकल फिइल्ड में बहुत बड़ा योगदान रहा है एवं देश के जाने माने रोबोटिक सर्जन में से एक है। जिन्होंने 240 से भी ज्यादा सफल रोबोटिक सर्जरियां की है। डा.ज्ञान SGPGI लखनऊ में प्रोफेसर पद पर कार्यरत है एवं सरकार द्वारा चलाये गए कोरोना निवारक एवं जागरूकता अभियान में सक्रिय रूप से जुड़े हुए है।

SGPGI. LKO
आईये जानते है कि प्लाज्मा थेरैपी क्या है और कैसे काम करती है
- प्लाज्मा थेरेपी सिस्टम इस धारणा पर काम करता है कि जो मरीज वायरस के संक्रमण से उबर कर ठीक हो जाते हैं उनके शरीर में वायरस के संक्रमण को बेअसर करने वाले प्रतिरोधी एंटीबॉडीज विकसित हो जाते हैं।
- उनके शरीर से निकाले गए ब्लड से प्लाज्मा (जो की ब्लड का ही एक कॉम्पोनेन्ट होता है) को अलग कर लिया जाता है और कोरोना पीड़ित व्यक्ति के ब्लड में इस प्लाज्मा को चढ़ा कर इलाज किया जाता है, इससे पीड़ित व्यक्ति में एंटीबॉडीज बनती है और इसी के जरिए शरीर में मौजूद वायरस को खत्म करने में मदद मिलती है।
- जब कोई वायरस किसी व्यक्ति पर हमला करता है तो उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज कहे जाने वाले प्रोटीन विकसित करती है, अगर वायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति के ब्लड में पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडीज विकसित होती है तो वह वायरस की वजह से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है।
Prof. Gyan Chand बताते है कि देश के कई अस्पतालो में डॉक्टर प्लाज्मा थेरैपी से मरीजो का इलाज़ के प्रयास में लगे हुए है, इसके क्लिनिकल ट्रायल से चौकाने वाले परिणाम सामने आये है।
- एक रिसर्च के अनुसार, जिन मरीजो को प्लाज्मा थेरैपी ट्रीटमेंट दिया गया है उनकी मृत्यु दर में पचास फीसदी की कमी आयी है और अन्य मरीजो की उपेक्षा जल्दी ठीक हुए है।
- भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने ब्लड प्लाज्मा थेरेपी से कोविड-19 संक्रमित मरीजों के उपचार के ट्रायल की अनुमति दे दी है।
- कोरोना महामारी के केंद्र चीन में प्लाज्मा थेरेपी की मदद से इलाज में सकात्मक नतीजे देखे गए हैं, प्लाज्मा थेरेपी तकनीक कोविड-19 संक्रमण के इलाज में उम्मीद की एक किरण साबित हो रही है।
Prof. Gyan Chand कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते है जो जानना आपके लिए आवश्यक है:
- कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति को शुरुवात में प्लाज्मा थेरैपी देने से यह थेरैपी सबसे अधिक कारगर सिद्ध हुई है उसकी वजह है कि प्लाज्मा थेरैपी से शरीर में बनने वाली एंटीबाडीज को बनने में 2 से 14 दिन का समय लगता है इसलिए इस थेरेपी का इस्तेमाल शुरुवात में किये जाने से बहुत प्रभावी परिणाम सामने आते है।
- प्लाज्मा थेरैपी आपकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है जिससे आपका शरीर बेहतर तरीके से वायरस से लड़ता है। इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है कि इस थेरेपी के बाद कोरोना मरीज मेडिकल ट्रीटमेंट लेना छोड़ दे।
- वो बताते है कि SGPGI और KGMC लखनऊ में भी प्लाज्मा थेरैपी ट्रीटमेंट उपलब्ध है, अतः मरीज अपना इलाज़ यहाँ करवा सकते है। आपको जानकारी के लिए बता दे, KGMC लखनऊ में भी प्लाज्मा थेरैपी ट्रीटमेंट एक 58 वर्षीय व्यक्ति पर किया जा चुका है जिसके नतीजे बहुत सकारात्मक रहे है।
- डा.ज्ञान बताते है, ब्लड से निकाले गए प्लाज्मा को 7 दिनों के अंदर इस्तेमाल कर लिया जाना चाहिए अन्यथा उसमे विकसित एंटीबॉडीज़ ख़त्म होने लगती है तथा बेहतर परिणाम सामने नहीं आते।
- जिस तरीके से कोरोना केसेस बढ़ रहे है, प्लाज्मा थेरैपी काफी कारगर सिद्ध हो रही है मरीजो को ठीक करने करने में। वो बताते है कि WHO ने भी इसको मान्यता दी है और विश्व के समस्त देश इस तकनीक का प्रयोग कर रहे है।

Prof. Gyan Chand उन ठीक हुए कोरोना मरीजो से अनुरोध करना चाहते है कि इस मुश्किल घड़ी में वो अपना ब्लड/प्लाज्मा डोनेट करे उनकी इस पहल से हज़ारो इंसानो की जाने बचायी जा सकती है।
धन्यवाद। जल्द ही मुलाकात होगी नयी कवर स्टोरी के साथ। आपका दोस्त,
विशाल सक्सेना अपने विचार इस मेल aryatvup@gmail.com पर शेयर करें।
