कब तक मारा जाएगा रावण!

Lucknow

एक बार फिर रावण मारा गया। वैसे मारा तो हर साल जाता है। यह कहते हुए कि ये धर्म की अधर्म पर जीत है। पूरी उम्मीद है कि आगे भी ऐसे ही मारा जाता रहेगा। …पर शायद तब ज्यादा बेहतर होता जब रावण की जगह हर साल उसके पर्याय बने तमाम अट्टहास कर रहे दुष्ट मारे जाते तो निश्चित तौर पर अब तक आसुरी संकट से यह सृष्टि मुक्त हो जाती, लेकिन हम सब उसी मरे हुए रावण को बार बार मारते हैं। जिसने एक बार पराई स्त्री का अपहरण किया। एक अपहरण की उसे बार बार सजा दी जा रही है पर आज वो तमाम लोग खुलेआम घूम रहे हैं जो रावण से ज्यादा अधर्मी हैं। बची खुचीकसर दूरदर्शन ने पूरी कर ली। एक बार फिर से रावण का वध करा दिया।

बहरहाल अतुलनीय, अनुकरणीय, धन्य हैं वो त्रेता युग के राक्षस, जो बरसों तक तपस्या करके भगवान को प्रसन्न कर लिया करते थे, उनके साहस, भक्ति और धैर्य मनुष्य जाति को बड़ी सीख देता है। अगर राक्षस अधर्म की रांह न पकड़ते तो शायद आज देवताओं से ज्यादा पूजनीय होते। रामायण का हर चरित्र बड़ी सीख देता चाहे वो चाहे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की रघुकुल की रीति हो,अंगद का ज्ञान, हनुमान की शक्ति, लक्ष्मण की भक्ति, जटायु का साहस, जामवंत की विद्धवता, मेघनाथ का पराक्रम, रावण का न झुकने वाला स्वभाव।

ऐसे तमाम चरित्र हैं जो कुछ न कुछ सीख देते हैं। इन्ही में से एक हैं बानर राज सुग्रीव। जो कि बानर थे और बानरों का चरित्र ही चंचल होता है। हलांकि बानर हनुमान, अंगद नल नील जैसे योद्धा थे पर उन्होंने कभी अपने धैर्य को नहीं खोया। जबकि सुग्रीव ने बार बार अति उत्तेजनावस अपने शत्रुओं को बिना सोचे समझे ललकारा और उन्हें अंत में मुंह छिपाकर भागना पड़ा। पूरी रामायण में सुग्रीव ही ऐसे पात्र थे जिन्होंने बार बार धैर्य खोया और फिर युद्ध से भागे।