कोरोना वायरस का संक्रमण दुनियाभर में तेजी से फैल रहा है। ऐसा भी नहीं है कि पहली बार किसी वायरस ने इती दहशत फैलाई है। इससे पहले भी सार्स, स्वाइन फ्लू, स्पेनिश फ्लू, प्लेग जैसी महामारियां इंसानी दुनिया पर हमला करती रही हैं। तमाम शोध और अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने इनसे लड़ने के लिए एंटी डाट्स और टीके भी तैयार किए हैं। समय भले लगे, लेकिन उम्मीद है कि कोरोना से लड़ने के लिए भी वैक्सीन जल्द तैयार हो जाएगी। कभी चेचक और पोलियो भी महामारी की तरह होता था, लेकिन अब इसकी प्रभावी वैक्सीन तैयार हो चुकी है। बड़े स्तर पर टीकाकरण होने के बाद से इन पर अंकुश लग चुका है। टीकाकरण के जरिए कई महामारियों से मानव जीवन को बचाया जा सका है। अमेरिका में कोरोना के पहले टीके के परीक्षण के बाद

आइए जानते हैं टीकाकरण का इतिहास:
वैक्सीनेशन शब्द लैटिन भाषा के वैक्सीनस से बना है। जिसका अर्थ होता है गाय या उससे संबंधित। 18वीं सदी की शुरुआत में फ्रांस के महान माइक्रोबॉयोलाजिस्ट लुई पाश्चर ने जर्म थ्योरी ऑफ डिजीज दी। इसी बुनियाद पर उन्होंने चिकेन पॉक्स, कॉलरा, रैबीज और एंथ्रेक्स के टीके विकसित किए।1798 में ब्रिटिश चिकित्सक एडवर्ड जेनर ने चेचक का टीका विकसित करने में सफलता पाई थी। उन्होंने डेयरी उद्योग में काम करने वाली महिलाओं पर शोध किया था। पाया था कि वहां काम करने वाली महिलाएं काऊ पॉक्स से संक्रमित होती हैं, लेकिन उन्हें चेचक नहीं होता। इसे साबित करने के लिए साल 1796 में उन्होंने 13 साल के किशोर के हाथ में चीरा लगाकर उसे काऊ पॉक्स संक्रमित किया, लेकिन उसे चेचक नहीं हुआ। इसकी पुष्टि होने के बाद उन्होंने चेचक का टीका बनाया। इसके बाद असमय इस बीमारी के शिकार हो रहे लाखों मानव जीवन को बचाने में सफलता मिली।
इसलिए होता है टीकाकरण
मानव जीवन जिसके चलते वायरल रोगों का शिकार होता है, उस पैथोजेन को एंटीजेन कहा जाता है। मानव शरीर इन एंटीजेन से लड़ने के लिए एक खास किस्म का प्रोटीन बनाता है, जिसे एंटीबॉडी कहते हैं। शुरुआत में शरीर में एंटीबॉडी के निर्माण की गति धीमी होती है। हमारे शरीर में एंटीबॉडी के निर्माण की दर और पैथोजेन के पुन: उत्पादन की रफ्तार में जो जीतता है, वही विजयी होता है।
अगर पैथोजेन की तुलना में एंटीबॉडी ज्यादा बन रही है तो आप बीमार नहीं होते हैं। शरीर में एंटीबॉडी (प्रतिरक्षा तंत्र) विकसित करने के लिए ही टीकाकरण किया जाता है। टीका शरीर की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली को सक्रिय करने का काम करता है। इसके चलते जब बाहरी रोग शरीर में घुसने की कोशिश करता है तो उसे वह मार भगाता है। ज्यादातर टीके वायरस से होने वाले रोगों से निपटने के लिए ही तैयार होते हैं।
जल्द आ जाएगा कोरोना का टीका
दुनियाभर के वैज्ञानिक कोरोना से लड़ने के लिए शोधकार्य में जुटे हुए हैं। अमेरिका के वैज्ञानिकों ने इसके टीके का पहला प्रयोग कर लिया है। अब तीन महीने तक इसका अध्ययन किया जाना है। अमेरिकी शोधकर्ताओं का दावा है कि उन्होंने पहले कोरोना टीके का परीक्षण कर लिया है। महिला को कोविड-19 का टीका लगाया गया है,जिसके शुरुआती परिणाम उत्साहजनक हैं।
