कांग्रेस छोड़ने से तीन दिन पहले ही खड़गे से मिले थे ज्योतिरादित्य सिंधिया

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ज्योतिरादित्य सिंधिया जिनकी गिनती कांग्रेस की अगली पीढ़ी के नेताओं के तौर पर होती थी, उन्होंने बुधवार को भाजपा का दामन थाम लिया है। मध्यप्रदेश के ग्वालियर राजघराने के महाराज सिंधिया को भाजपा ने तोहफा देते हुए राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है। साथ ही उनके मंत्री बनने की भी चर्चा चल रही है।

सिंधिया को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का करीबी माना जाता था लेकिन उन्होंने भी महाराज को रोकने की कोशिश नहीं की। अब राहुल ने जहां मध्यप्रदेश चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद की एक साल से ज्यादा पुरानी तस्वीर रिट्वीट की है। वहीं मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी सिंधिया के पार्टी छोड़ने पर प्रतिक्रिया दी है।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता खड़गे का कहना है कि उनकी तीन दिन पहले ही सिंधिया से मुलाकात हुई थी। उनके अनुसार, ‘उन्होंने सिंधिया से कहा था कि आप चार बार सांसद रहे, पार्टी में विभिन्न पदों पर रहे। व्यक्तिगत लाभ और हानि सबके जीवन में आते रहते हैं। पार्टी छोड़ना ठीक नहीं है। पार्टी छोड़ने की कोई जरुरत नहीं है।’

खड़गे का कहना है कि सिंधिया युवा नेता और अच्छे वक्ता हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी का निर्माण एक विचारधारा के आधार पर हुआ है। सभी इसी विचारधारा में विश्वास करते हैं। हमें पार्टी को मजबूत बनाना चाहिए। खड़गे का कहना है कि सिंधिया ने किसी की नहीं सुनी और अपने हितों को महत्व देते हुए पार्टी छोड़ दी।

मन व्यथित, पहले वाली पार्टी नहीं रही कांग्रेस: ज्योतिरादित्य
18 साल तक कांग्रेस में रहने के बाद सिंधिया भाजपा मेे शामिल हो गए। उन्हें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता दिलाई। सिंधिया ने कहा कि मेरे जीवन में दो दिन ऐसे आए, जिन्होंने मेरा जीवन बदल दिया। पहला 30 सितंबर 2001, जिस दिन मैंने अपने पिता को खोया। दूसरी तारीख 10 मार्च 2020, जो उनकी 75वीं वर्षगांठ थी। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि हमारा उद्देश्य जनसेवा होना चाहिए। मेरे पिताजी और मैंने हमेशा इसी पर काम किया। सिंधिया ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस अब पहले वाली कांग्रेस नहीं रही।