भागदौड़ भरी जिंदगी में काम और तनाव के बीच परिवार की सुरक्षा का ख्याल रखना सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। सीमित संसाधन वाले नौकरीपेशा आदमी के लिए यह काम और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। ऐसे हालात में जीवन बीमा या टर्म इंश्योरेंस जैसे संसाधनों की जरूरत होती है, जो किसी मुश्किल समय में परिवार को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करते हैं।
अगर आप भी टर्म इंश्योरेंस लेने की योजना बना रहे हैं तो जल्दी करें, क्योंकि अप्रैल से बीमा कंपनियां इसके प्रीमियम में बड़ा इजाफा करने की तैयारी में हैं, जो आप पर बड़ा वित्तीय बोझ बन सकता है।
निवेश से अलग है बीमा की जरूरत
अधिकतर लोग निवेश के लिए जीवन बीमा जैसे उत्पादों में पैसे लगाते हैं। उन्हें यह समझना होगा कि बीमा उत्पादन अपनी व अपनों की सुरक्षा के लिए होता है। इसका इस्तेमाल निवेश और रिटर्न के लिए नहीं किया जाना चाहिए। जैसे-जैसे लोगों मेें जागरूकता आ रही है, टर्म इंश्योरेंस की उपयोगिता में इजाफा होता रहा है।
ऐसा इसलिए, क्योंकि पांरपरिक जीवन बीमा उत्पादों में बड़ी सम एश्योर्ड राशि के लिए भारी-भरकम प्रीमियम भी चुकाना पड़ता है। इसके उलट टर्म इंश्योरेंस में 1 करोड़ के सम एश्योर्ड के लिए भी सालाना प्रीमियम काफी कम होता है।
बीमा कंपनियां हर वित्त वर्ष की शुरुआत में अपने प्रीमियम की समीक्षा करती हैं और जरूरत के अनुरूप इसमें इजाफा करती हैं। 1 अप्रैल, 2020 से शुरू होने वाले नए वित्त वर्ष से टर्म इंश्योरेंस के प्रीमियम में भी 20 फीसदी तक इजाफा होने का अनुमान जताया जा रहा है।
कैसे चुनें बेहतर टर्म प्लान उत्पाद
सबसे जरूरी होता है किसी कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेशियो (सीएसआर)। यह जितना ज्यादा होगा, उस कंपनी की विश्वसनीयता और वित्तीय मजबूती भी उतनी ज्यादा रहेगी। ऊंचे सीएसआर वाली कंपनियों से उत्पाद खरीदें।
आपको सीएसआर कंसिस्टेंसी का पता लगाने के लिए 3 से 5 साल तक के दावा निपटान का अनुपात देखना होगा। इससे कंपनी की लंबी अवधि में रणनीति और वित्तीय स्थिरता का अनुमान लगाया जा सकता है।
ध्यान रखें कि टर्म इंश्योरेंस की ज्यादा जरूरत तभी है, जब आप पर पारिवारिक जिम्मेदारियां हों और उन्हें वित्तीय सुरक्षा का पूरा दारोमदार आप पर आता हो।
सीएसआर के अलावा बीमा कंपनी की सेवा गुणवत्ता पर भी विचार करना जरूरी है, क्योंकि क्लेम करते समय इंश्योर्ड व्यक्ति अपने लाभार्थियों की मदद के लिए मौजूदा नहीं रहता। लिहाजा कंपनी की सेवा गुणवत्ता बेहतर होनी चाहिए।
इसके अलावा प्रीमियम, बीमा राशि, एड-ऑन बेनिफिट, ग्राहक सेवा और कंपनी के ट्रैक रिकॉर्ड पर भी ध्यान देना जरूरी होता है, ताकि आप एक बेहतर उत्पाद चुन सकें।
पॉलिसी को जटिल बना सकता है एड-ऑन
बीमा कंपनियां टर्म प्लान बेचते समय अपने ग्राहकों को और ज्यादा लाभ देने के लिए कई तरह के एड-ऑन की पेशकश करती हैं, जिसमे घातक बीमारियों या दुर्घटना में वित्तीय मदद शामिल होती है। हालांकि, टर्म इंश्योरेंस के साथ एड-ऑन लेना कई बार पॉलिसी को जटिल बना देता है।
इसमें बच्चों की उच्च शिक्षा और परिवार की गंभीर बीमारियों को सुरक्षा देने की पेशकश की जाती है। कुछ एड-ऑन गंभीर बीमारियों के साथ अवधि समाप्त होने पर प्रीमियम वापसी, जीवनभर सुरक्षा गांरटी और प्रीमियम में छूट जैसी सुविधाएं भी देते हैं। हालांकि, इसके लिए बीमाधारक को अधिक भुगतान करना पड़ता है।
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि टर्म प्लान के साथ ऐसे एड-ऑन लेना अलग-अलग पॉलिसी की तुलना में सस्ता तो पड़ता है, लेकिन इसमें कई ऐसी चीजें भी शामिल होती हैं, जिनकी आपको जरूरत नहीं होती। लिहाजा एड-ऑन के बजाए टॉप-अप को जोड़ना अधिक फायदेमंद साबित हो सकता है।
क्या कहते हैं जानकार
टर्म इंश्योरेंस मौजूदा समय में सबसे जरूरी बीमा उत्पाद है। इसके जरिये सीमित कमाई में भी परिवार को बड़ी वित्तीय सुरक्षा दी जा सकती है। होम लोन जैसे बड़े कर्ज को चुकाने का बोझ भी बीमाधारक के बाद परिवार पर नहीं आता।जैसे कि मैंने बताया अप्रैल से टर्म प्लान के प्रीमियम 20 फीसदी तक बढ़ सकते हैं और इसका भुगतान एक बार नहीं बल्कि जीवनभर करना होगा। लिहाजा बेहतर सीएसआर वाली कंपनी की पहचान कर अभी टर्म इंश्योरेेंस कराना समझदारी भरा फैसला हो सकता है।
